"मुंडा विद्रोह": अवतरणों में अंतर
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==विद्रोह और उसके बाद==
1898 में डोम्बरी पहाडियों पर मुंडाओं की विशाल सभा हुई, जिसमें आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई. आदिवासियों के बीच राजनीतिक चेतना फैलाने का काम चलता रहा. अंत में 24 दिसंबर, 1899 को बिरसापंथियों ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड दिया. 5 जनवरी 1900 तक पूरे मंडा अंचल में विद्रोह की चिंगारियां फैल गई. ब्रिटिश फौज ने आंदोलन का दमन शुरू कर दिया. 9 [[जनवरी]] [[1900]] का दिन [[मुंडा]] इतिहास में अमर हो गया जब डोम्बार पहाडी पर अंग्रेजों से लडते हुए सैंकडों मुंडाओं ने शहादत दी. आंदोलन लगभग समाप्त हो गया. गिरफ्तार किये गए मुंडाओं पर मुकदमे चलाए गए जिसमें दो को फांसी, 40 को आजीवन कारावास, 6 को चौदह वर्ष की सजा, 3 को चार से छह बरस की जेल और 15 को तीन बरस की जेल हुई.
==बिरसा की गिरफ्तारी और अंत==
[[बिरसा मुंडा]] काफी समय तक तो पुलिस की पकड में नहीं आया लेकिन एक
==यह भी देखें==
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==सन्दर्भ==
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