"भारतभूषण अग्रवाल": अवतरणों में अंतर

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डॉ0 भारतभूषण अग्रवाल 1960 में [[साहित्य अकादमी]] के उपसचिव बने और अकादेमी के प्रकाशनों तथा कार्यक्रमों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने में अपना योगदान दिया। 1975 में वे उशतर अध्ययन संस्थान, शिमला के विजिटिंग फ़ेलो बने और मृत्युपर्यंत 'भारतीय साहित्य में देश-विभाजन' विषय पर शोध करते रहे।
अपनी व्यंग्यमुखर प्रखरता के नाते उनकी रचनाएं जहां अपने समकालीनों से सर्वथा अलग प्रतीत होती हैं, वहां आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक बनी हुई हैं। विभिन्न विधाओं में समान रूप से लेखन में सिद्धहस्त डॉ0 अग्रवाल की रचनाओं में विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं- बहुत बाक़ी है, अनुपस्थित लोग, कागज़के फूल, प्रसंगवश और कवि की दृष्टि। उनकी रचनावली चार खंडों में प्रकाशित हो चुकी है।
[[श्रेणी:हिन्दी कवि]] [[श्रेणी:तारसप्तक]] [[श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत]]
[[श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत]]