"फ्रेडरिक एंगेल्स": अवतरणों में अंतर

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'''फ्रेडरिखफ्रेडरिक एंगेल्स''' ([[२८ नवंबर]], [[१८२०]] – [[५ अगस्त]], [[१८९५]] एक [[जर्मनी|जर्मन]] [[समाजशास्त्र|समाजशास्त्री]] एवं [[दर्शनशास्त्र|दार्शनिक]] थे,थे1 एंगेल्स और उनके साथी जिन्होंनेसाथी [[कार्ल मार्क्स]] कीमार्क्सवाद तरह [[साम्यवाद|साम्यवादीके सिद्धांतों]]सिद्धांत काके प्रतिपादन कियाका था।श्रेय [[कार्लप्राप्त मार्क्स]]है। एवं एंगेल्स ने संयुक्त1845 रूपमें सेइंग्लैंड [[१८४८]] के मजदूर वर्ग की स्थिति पर ''द कंडीशन आफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड'' नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने मार्क्स के साथ मिलकर 1848 में [[कम्युनिस्ट घोषणापत्र]] लिखी।की रचना की और बाद में अभूतपूर्व पुस्तक पूंजी '''दास कैपिटल''' को लिखने के लिये मार्क्स की आर्थिक तौर पर मदद की। मार्क्स की मौत हो जाने के बाद एंगेल्स ने पूंजी के दूसरे और तीसरे खंड का संपादन भी किया। एंगेल्स ने '''अतिरिक्त पूंजी के नियम''' पर मार्क्स के लेखों को जमा करने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई और अंत में इसे पूंजी के चौथे खंड के तौर पर प्रकाशित किया गया।
 
== जीवनी ==
=== प्रारंभिक जीवन ===
एंगेल्स का जन्म 28 नवंबर 1820 को प्रशिया के बार्मेन(अब जर्मनी का वुप्‍पेट्रल) नामक इलाके में हुआ था। उस समय बार्मेन एक तेजी से विकसित होता औद्योगिक नगर था। एंगेल्स के पिता फ्रेदरिक सीनियर एक धनी कपास व्यापारी थे। एंगेल्स के पिता की प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म में गहरी आस्था थी और एंगेल्स का लालन पालन भी बेहद धार्मिक माहौल में हुआ। एंगेल्स के नास्तिक और क्रांतिकारी विचारों की वजह से उनके और परिवार के बीच अनबन बढती ही जा रही थी। एंगेल्स की मां द्वारा एलिजाबेथ द्वारा उन्हे 1848 में लिखे एक खत से इस बात की पुष्टि हो जाती है। एलिजाबेथ ने उन्हे लिखा था कि वह अपनी गतिविधियों में बहुत आगे चले गये हैं और उन्हें इतना आगे नहीं बढकर परिवार के पास वापस आ जाना चाहिये। उन्‍होंने खत में लिखा था "तुम हमसे इतनी दूर चले गये हो बेटे कि तुम्हें अजन‍बियों के दुख तकलीफ की अधिक चिंता है और मां के आसुंओं की जरा भी फिक्र नहीं। ईश्‍वर ही जानता है कि मुझ पर क्या बीत रही है। जब मैने आज अखबार में तुम्हारा गिरफ्तारी वारंट देखा तो मेरे हाथ कांपने लगे।" एंगेल्स को यह खत उस समय लिखा गया था जब वह बेल्जियम के ब्रसेल्स में भूमिगत थे।
इससे पहले जब एंगेल्स महज 18 वर्ष के थे तो उन्हें परिवार की इच्छानुसार हाईस्कूल की पढाई बीच में ही छोड देनी पडी थी। इसके बाद उनके परिवार ने उनके लिये ब्रेमेन के एक कार्यालय में अवैतनिक क्लर्क की नौकरी का बंदोबस्त कर दिया। एंगेल्स के परिजनों का सोचना था कि इसके जरिये एंगेल्स व्यवहारिक बनेंगे और अपने पिता की तरह व्यापार में खूब नाम कमायेंगे। हालांकि एंगेल्स की क्रांतिकारी गतिविधियों की वजह से उनके परिवार को गहरी निराशा हुई थी।
ब्रेमेन प्रवास के दौरान एंगेल्स ने जर्मन दार्शनिक हीगेल के दर्शन का अध्ययन किया। हीगेल उन दिनों के बहुत से युवा क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्रोत थे। एंगेल्स ने इस दौरान ही साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रियता दिखानी शुरु कर दी थी। उन्होंने 1838 के सितंबर में ''''''द बेडूइन''' नामक अपनी पहली कविता लिखी।
एंगेल्स 1841 में प्रशिया की सेना में शामिल हो गये और इस तरह से बर्लिन जा पहुंचे। बर्लिन में उन्हें विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने का मौका मिला और इस दौरान ही वह '''हीगेलवादी''' युवाओं के एक दल में शामिल हो गये। उन्होंने अपनी पहचान गुप्त रखते हुये कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की वास्तविक स्थितयों पर '''राइनीश जेतुंग''' नामक समाचारपत्र में भी कई लेख लिखे। उस समय इस अखबार के संपादक कार्ल मार्क्स थे। मार्क्स और एंगेल्स का इससे पहले कोई परिचय नहीं था और नवंबर 1842 में हुई एक छोटी सी मुलाकात के बाद ही दोनों को एक दूसरे को जानने का मौका मिला। एंगेल्स जीवनभर जर्मन दर्शन के कृतज्ञ रहे क्योंकि उनका मानना थी इसी परिवेश की वजह से ही उनका बौद्धिक विकास संभव हो सका।
=== इंग्लैंड ===
एंगेल्स के परिजनों ने उन्हें 1842 में 22 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड के मैंचेस्टर भेज दिया। यहां उन्हें एर्मन और एंगेल्स की विक्टोरिया मिल में काम करने के लिये भेजा गया था जो कपडे सीने के धागे बनाती थी। एंगेल्स के पिता का ख्याल था कि मैंचेस्टर में काम के दौरान वह अपने जीवन पर पुर्नविचार करेंगे। हालांकि इंग्लैंड जाते वक्त एंगेल्स राइनीश जेतुंग के दफ्तर होते गये थे जहां उनकी मार्क्स से पहली बार मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के दौरान मार्क्स ने एंगेल्स को अधिक गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि मार्क्स का मानना थी कि एंगेल्स अभी भी हीगेलवादियों से प्रभावित हैं, जबकि मार्क्स उस समय तक हीगेलवादियों से अलग हो चुके थे।
 
मैंचेस्टर प्रवास के दौरान एंगेल्स की मुलाकात क्रांतिकारी विचारों वाली एक श्रमिक महिला मैरी बर्न्स से हुई और उनका साथ 1862 में बर्न्स का निधन हो जाने तक बना रहा। इन दोनों ने कभी भी विवाह के पारंपरिक बंधन में अपने रिश्ते को नहीं बांधा क्योंकि दोनो ही विवाह कहलाने वाली सामाजिक संस्था के खिलाफ थे। एंगेल्स एक ही जीवनसाथी के साथ जिंदगी बिताने के प्रबल पक्षधर थे लेकिन उनका मानना था कि विवाह चूंकि राज्य और चर्च द्वारा थोपी गयी एक व्यवस्था है इसलिये वह वर्गीय शोषण की ही एक किस्म है। बर्न्स ने एंगेल्स को मैंचेस्टर और सैल्फोर्ड के बेहद बदहाल इलाकों का दौरा भी कराया। मैंचेस्टर प्रवास के दौरान एंगेल्स ने अपनी पहली आर्थिक रचना '''आउटलाइन आफ अ क्रिटीक आफ पॉलिटिकल इकोनोमी''' लिखी। एंगेल्स ने इस लेख को अक्टूबर से नवंबर 1843 के बीच लिखा था जिसे बाद में उन्होंने पेरिस में रह रहे मार्क्स को भेज दिया। मार्क्स ने इन्हें '''डाउचे फ्रांसोइस्चे जारबखेर'''में प्रकाशित किया। एंगेल्स ने '''कंडीशन आफ इंग्लैंड''' नामक तीन हिस्सों वाली एक श्रृंखला भी जनवरी से मार्च 1844 के बीच लिखी।
मैंचेस्टर की झुग्गी बस्तियों की खराब हालात को एंगेल्स ने अपने लेखों की विषय वस्तु बनाया। उन्होंने बेहद खराब माहौल में बाल मजूरी करते बच्चों पर लेख लिखे और मार्क्स को लेखों की एक नई श्रृंखला भेज दी1 इन लेखों को पहले राइनीश जेतुंग और फिर डाउचे फ्रांसोइस्चे जारबखेर में प्रकाशिक किया गया। इन लेखों को बाद में एक पुस्तक का आकार दे दिया गया जो 1845 में '''द कंडीशन आफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड''' नाम से प्रकाशित हुई। इस पुस्तक का अंगेजी संस्करण 1887 में प्रकाशिक हुआ। एंगेल्स ने इस पुस्तक में पूंजीवाद के जर्जर भविष्य और औद्योगिक क्रांति पर तो अपने विचार प्रकट किये ही,इसके अलावा इंग्लैंड की मेहनतकश जनता की वास्तविक स्थिति का हाल ए बयान पेश किया।
[[चित्र:Engel House in Primrose.jpg|thumb|200px|प्राइमरोज हिल्स स्थित फ्रेडरिख एंजेल्स का आवास]]