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|title= रहमान का जादू चला जीत लिया गोल्डन ग्लोब अवार्ड|accessmonthday=[[१४ जनवरी]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher=दैनिक भास्कर|language=}}</ref> ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म [[स्लम डॉग मिलेनियर]] में उनके संगीत के लिए तीन [[ऑस्कर पुरस्कार|ऑस्कर]] नामांकन हासिल हुआ है।<ref>{{cite web |url= http://epaper.sanmarg.in/SM/SM/2009/01/23/index.shtml
|title= रहमान को आस्कर में तीन नामांकन|accessmonthday=[[23 जनवरी]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher=सन्मार्ग|language=}}</ref> इसी फिल्म के गीत जय हो..... के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो [[ग्रैमी पुरस्कार]] मिले।<ref>[http://www.patrika.com/news.aspx?id=317963 रहमान को ग्रैमी अवार्ड]।पत्रिका।१ फ़रवरी, २०१०</ref>
== प्रारंभिक जीवन ==
रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला था। उनके पिता आरके शेखर मलयाली फ़िल्मों में संगीत देते थे। रहमान ने संगीत की आगे की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की और मात्र ११ वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते। वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे। रहमान को ही श्रेय जाता है चेन्नाई के बैंड "नेमेसिस एवेन्यू" की स्थापना के लिए। वे की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और [[गिटार]] सभी बजाते थे। वे सिंथेसाइजर को कला और टेक्नोलॉजी का अद्भुत संगम मानते हैं। रहमान जब नौ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और पैसों के लिए घरवालों को वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा। हालात इतने बिगड़ गए कि उनके परिवार को [[इस्लाम]] अपनाना पड़ा। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें [[लंदन]] के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहाँ से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/articles/0901/13/1090113048_1.htm|title= एआर रहमान : दिल से...|accessmonthday=[[१४ जनवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएमए|publisher= वेब दुनिया|language=}}</ref> ए आर रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। उनके तीन बच्चे हैं- खदीजा, रहीम और अमन। वे दक्षिण भारतीय अभिनेता राशिन रहमान के रिश्तेदार भी है। रहमान संगीतकार जी वी प्रकाश कुमार के चाचा हैं।
 
== कार्यक्षेत्र ==
[[चित्र:AR Rahman, 2007.gif|thumb|right|200px|अल्लाह रक्खा रहमान]]
[[१९९१]] में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। [[१९९२]] में उन्हें फिल्म डायरेक्टर [[मणिरत्नम]] ने अपनी फिल्म [[रोजा]] में संगीत देने का न्यौता दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म से ही रहमान ने [[फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार]] भी जीता। इस पुरस्कार के साथ शुरू हुआ रहमान की जीत का सिलसिला आज तक जारी है। रहमान के गानों की २०० करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने [[तहज़ीब (2003 फ़िल्म)|तहजीब]], [[बॉम्बे]], [[दिल से]], [[रंगीला (1995 फ़िल्म)|रंगीला]], [[ताल (1999 फ़िल्म)|ताल]], [[जींस]], [[पुकार]], [[फ़िज़ा (2000 फ़िल्म)|फिजा]], [[लगान (2001 फ़िल्म)|लगान]], [[मंगल पांडे]], [[स्वदेश (2004 फ़िल्म)|स्वदेश]], [[रंग दे बसंती]], [[जोधा अकबर (2008 फ़िल्म)|जोधा-अकबर]], [[जाने तू या जाने ना]], [[युवराज]], [[स्लम डॉग मिलेनियर]], [[गजनी]] जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की ५०वीं वर्षगाँठ पर १९९७ में "वंदे मातरम्‌" एलबम बनाया, जो जबर्दस्त सफल रहा। भारत बाला के निर्देशन में बना एलबम "जन गण मन", जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर [[तमिल सिनेमा]] के डांसरों का ट्रुप बनाया, जिसने [[माइकल जैक्सन]] के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।
 
== सम्मान और पुरस्कार ==
 
* संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए १९९५ में मॉरीशस नेशनल अवॉर्ड्स, मलेशियन अवॉर्ड्स।
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* २००९ के लिये २ [[ग्रैमी पुरस्कार]], [[स्लम डॉग मिलेनियर]] के गीत जय हो.... के लिये: सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक व सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत के लिये।
 
== संदर्भ ==
<references/>
 
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[[jv:A.R. Rahman]]
[[kn:ಎ. ಆರ್. ರಹಮಾನ್‌]]
[[ku:A,. R. Rahman]]
[[ml:എ.ആർ. റഹ്‌മാൻ]]
[[mr:ए.आर. रहमान]]