"वार्ता:मनमोहन सिंह": अवतरणों में अंतर

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::: भवानी भाई, आप द्वारा लिखी गयी सुभाषित का सही रूप यह होना चाहिये : ''सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात् सत्यंप्रियं''। मेरे खयाल से यह यहाँ लागू नहीं हो सकता क्योंकि 'ज्ञान' में प्रिय और अप्रिय दोनो आते हैं। इतने सारे युद्ध हुए हैं, भीषण नरसंहार हुए हैं, महामारियाँ और प्राकृतिक आपदाएँ हुईं हैं - वे सब 'अप्रिय' ही तो हैं। तमाम सारे रोग ऐसे हैं जिनका नाम लेने मात्र से घृणा आ सकती है। तो क्या उनके बारे में न लिखा जाय? -- <b>[[सदस्य:अनुनाद सिंह|<font color="blue">अनुनाद सिंह</font>]]</b><sup>[[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|<font color="green">वार्ता</font>]]</sup> 15:25, 12 जून 2012 (UTC)
: अनुनाद जी, मेरे कहने का तात्पर्य यह है '''किसीको अप्रिय लगना ''' , जहाँ तक ऐसी बात आती है तो सही संदर्भ देना अत्यावश्यक है। और मैनें जो सुभाषित लिखी सही है। संधि विच्छेद कर देखें- संस्कृत में '''मा''' का अर्थ होता है '''न''', सत्यमप्रियम्=सत्यं+अप्रियम्। किताब में देखें, अपने हिसाब से मन मर्जी लिखकर कृपया सही न कहें। आपने '''गयी, चाहिये, दोनो''' लिखे अशुद्ध हैं, हिन्दी व्याकरण देखें, सही शव्द तो ये है- '''गई, चाहिए, दोनों'''। धन्यवाद।[[User:Bhawani Gautam|भवानी गौतम]] ([[User talk:Bhawani Gautam|वार्ता]]) 01:01, 13 जून 2012 (UTC)
:: भवानी भाई, मैं इसका सही अर्थ समझता हूँ। आपने भी अर्थ सही लिखा है। किन्तु मेरे खयाल से 'सत्यं ब्रूयात' के बाद 'प्रियं ब्रूयात' आता है न कि पहले। मुझे लगभग दस वर्ष की आयु से यही याद है और नेट पर खोजने पर भी यही मिला। किन्तु मेरा मुख्य प्रश्न यह है कि क्या यह इस चर्चा में किसी प्रकार प्रासंगिक है?-- <b>[[सदस्य:अनुनाद सिंह|<font color="blue">अनुनाद सिंह</font>]]</b><sup>[[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|<font color="green">वार्ता</font>]]</sup> 03:55, 13 जून 2012 (UTC)
 
::: बिल महोदय, जरा देखिये कि आप कहाँ से चले थे और भागते-भागते कहाँ आ गये। तटस्थता की बात शुरू में एक वाक्य में कह सकते थे। <br> जो कड़ियाँ मैने जोड़ी हैं वे मेरी रचना नहीं हैं। आपको 'प्रियम्-प्रियम्' ही चाहिये तो 'अप्रियम' कड़ियों को हटाने के बजाय 'प्रियम्' कड़ियाँ क्यों नहीं जोड़ देते? आप कह रहे हैं कि जो लिंक मैं दे रहा हूं उनकी सामग्री को '''आसानी''' से उस लेख में जोड़ा जा सकता था। अगर इतना ही आसान है तो आपने क्यों नहीं जोड़ दिया? मुझे तो यह बहुत बड़ा काम लग रहा है। कृपया यह भी बताइये कि कहाँ लिखा है कि यदि किसी मामले में किसी भाषा की विकि में कोई स्पष्ट नीति/दिशानिर्देश नहीं हैं तो अंग्रेजी विकि का अनुसरण किया जायेगा?-- <b>[[सदस्य:अनुनाद सिंह|<font color="blue">अनुनाद सिंह</font>]]</b><sup>[[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|<font color="green">वार्ता</font>]]</sup> 15:25, 12 जून 2012 (UTC)
 
::: बिल महोदय, कृपया इस बात पर भी साफ-साफ लिखें कि समाचार पत्रों के समाचारों की कड़ियाँ 'बाहरी कड़ियाँ' के अन्दर देना मना है या इन्हें देना अच्छा है? कृपया इस सवाल को तथस्टता के साथ बिना घालमेल किये उत्तर दें। -- <b>[[सदस्य:अनुनाद सिंह|<font color="blue">अनुनाद सिंह</font>]]</b><sup>[[सदस्य वार्ता:अनुनाद सिंह|<font color="green">वार्ता</font>]]</sup> 03:55, 13 जून 2012 (UTC)
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