"कैलोरीमिति": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Ice-calorimeter.jpg|right|thumb|300px|'''विश्व का सबसे पहला हिम-कैलोरीमापी''' : इसे सन् 1782-83 में लैवाशिए और लाप्लास ने विभिन्न रासायनिक परिवर्तनों में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा के निर्धारण के लिये प्रयोग किया था। ]]
किसी रीति से [[उष्मा]] के मापन को '''उष्मामिति''' या 'कैलोरीमिति' (calorimetry) कहते हैं। उष्मामिति उष्मा के किसी प्रभाव पर आधारित होती है।
किसी रीति से [[उष्मा]] के मापन को '''उष्मामिति''' या 'कैलोरीमिति' (calorimetry) कहते हैं। किसी [[रासायनिक अभिक्रिया]] में या [[अवस्था परिवर्तन]] में या किसी भौतिक या [[रासायनिक परिवर्तन]] में या किसी जैविक प्रक्रम (बायोलॉजिकल प्रॉसेस) जो ऊष्मा उत्पन्न होती है अवशोषित होती है उसकी मात्रा की माप करके पदार्थों अथवा प्रक्रमों की की [[विशिष्ट ऊष्मा]], [[ऊष्मा धारिता]], [[गुप्त ऊष्मा]] आदि का निर्धारण किया जा सकता है।
 
ऊष्मामिति का आरम्भ जूल (Joule) के उस प्रयोग से आरम्भ हुआ जो 'कैलोरी के यांत्रिक तुल्यांक' के निर्धारण के लिये किया गया था। वास्तव में यह प्रयोग [[ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धान्त|ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धान्त]] पर आधारित था।
 
कैलोरीमिति के लिये जो उपकरण उपयोग में लाये जाते हैं उन्हें 'कैलोरीमापी' (calorimeters) कहते हैं।
 
==पद्धतियाँ==
उष्मामिति उष्मा के किसी प्रभाव पर आधारित होती है। ऊष्मामिति प्रत्यक्ष (direct) या परोक्ष (indirect) रूप से की जा सकती है। प्रत्यक्ष कैलोरीमिति में कैलोरीमापी द्वारा ऊष्मा की माप की जाती है जबकि अप्रत्यक्ष कैलोरीमिति में ऊष्मा की मात्रा की सीधे तौर पर माप न करके ली गयी [[आक्सीजन]] की मात्रा के आधार पर ऊष्मा की गणना की जाती है।
उष्मामापन की साधारणतया निम्नलिखित पद्धतियाँ हैं :
 
प्रत्यक्ष उष्मामापन की साधारणतया निम्नलिखित पद्धतियाँ हैं :
 
(क) तापपरिवर्तन अथवा तापमानीय उष्मामिति,