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किसी [[भवन]] या कमरे आदि की दीवार में भीतर बाहर आने जाने के लिए बनाए हुए विशेष प्रकार के छिद्र को दरवाजा या '''द्वार''' कहते है और आने जाने की सुविधा या रोक के लिए लगाए गए लकड़ी, धातु या पत्थर के एक टुकड़े, या जोड़े हुए कई टुकड़ों, के पल्लों को '''द्वारकपाट''', कपाट या किवाड़ कहते हैं।
 
== द्वार या दरवाजा ==
द्वार का साधारण रूप आयताकार छिद्र का होता है, किंतु आयत का ऊपरी भाग गोल या लंबी मेहराब वाला, या अन्य किसी रूप का भी हो सकता है। ईटं, या पत्थर की चिनाईवाले भवनों के द्वारों में चौखट लगी होती है, जिसमें ऊपर की ओर लकड़ी का जोता होता है। लकड़ी के मकानों में जोते की क्षैतिज लकड़ी में चूलें बनाकर अगल बगल की खड़ी लकड़ियों के बीच लगा देते हैं और खड़ी लकड़ियाँ ऊपर छत तक चली जाती हैं। गुफाभवनों, अर्थात्‌ पत्थर या शिला काटकर बनाए हुए भवनों, में अलग से चौखटे की आवश्यकता नहीं होती, किंतु बहुधा ऐसे द्वारों के चतुर्दिक्‌ सजावट के लिए रेखाएँ या अन्य अभिकल्प उत्कीर्ण कर दिए जाते हैं।
 
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मुस्लिम देशों में द्वारों का बड़ा महत्व है। दीवार की पूरी ऊँचाई भर में बनाए हुए तोरण के ऊपरी भाग में झाड़ लटकाए हुए रहते हैं, या केवल एक ऊँची नोकदार मेहराब रहती है, और नीचे के भाग में प्रवेशद्वार होता है। चीन, जापान और भारत में द्वारों की बनावट प्राय: सीधी ही होती है।
 
== द्वारकपाट (किवाड़) ==
अति प्राचीन काल के आदिवासी भी वर्तमान आदिवासियों की भाँति किवाड़ का काम वृक्ष की डालियों से बने टट्टर या चमड़े, चटाई, टाट, या किसी प्रकार के परदे से लेते थे। आवश्यकता न रहने पर चटाई इत्यादि लपेटकर बाँध दी जाती थी। मिस्र के ताई नामक मकबरे की दीवारों पर बनाए चित्रों में द्वारों पर लटकती हुईं ऐसी चटाइयाँ चित्रित हैं। आधुनिक भवनों में भी द्वारों पर लटकते परदे अंशत: अस्थायी किवाड़ों का काम देते हैं।
 
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कपाटों में उपयोग के लिए आजकल अनेक प्रकार के [[ताला|ताले]], कब्जे, चूलें, आदि बनते हैं तथा जुड़नारों में बहुत यांत्रिक विकास हुआ है।
 
== इन्हें भी देखें ==
 
[[श्रेणी:घर]]
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[[sn:Gonhi]]
[[so:Albaab]]
[[sq:Dera]]
[[sr:Врата]]
[[sv:Dörr]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/द्वार" से प्राप्त