"सौन्दर्य प्रसाधन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो r2.7.1) (Robot: Modifying tr:Kozmetik |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 101:
==लिपिस्टिक==
किसी सांद्रित और स्निग्ध आधार (पदार्थ) में थोड़े से घुले हुए और मुख्यतया आलंबित (सस्पेंडेड) रंजक द्रव्य की ओष्ठरंजक-शलाका का नाम लिपिस्टिक है। एक बार प्रयोग में लाने से इसके रंग और स्निग्धता का प्रभाव 6 से 8 घंटे तक बना रहता है। रंग का असमान मिश्रण, शलाका का टूटना या पसीजना इत्यादि दोषों से इसका रहित होना अत्यंत आवश्यक है। लगभग 2 ग्राम की एक शलाका 250 से 400 बार प्रयोग में लाई जा सकती है। साधारणत: लिपिस्टिकों की त्वचा में ब्रोमो ऐसिड 2 प्रतिशत और रंगीन लेक 10 प्रतिशत की किसी उपयुक्त आधारक द्रव्य में मिलाया जाता है। घोलकों में से [[एरंड का तेल]] और ब्यूटिल स्टीयरेट, संलागियों में से [[मधुमक्खी का मोम]], दीप्ति के लिए 200 [[श्यानता]] का
दो योग (नुसखे) निम्नलिखित हैं:
===पहला योग===
(क) ट्रफ़ पेट्रोलेटम 25▼
'''अवयव''' -- '''भाग'''
सिरेसीन 64 डिग्री 25▼
▲सिरेसीन 64 डिग्री -- 25
मिनरल ऑयल 210/220 15▼
▲मिनरल ऑयल 210/220 -- 15
मघुमक्खी का मोम 15▼
▲मघुमक्खी का मोम -- 15
लैनोलीन (अजल) 5▼
▲लैनोलीन (अजल) -- 5
ब्रोमो ऐसिड 2▼
▲ब्रोमो ऐसिड -- 2
रंगीन लेक 10▼
▲रंगीन लेक -- 10
कारनौबा मोम 3▼
▲कारनौबा मोम -- 3
(ख) अवशोषण आधारक द्रव्य 28▼
===दूसरा योग===
सिरेसीन 64 डिग्री 25▼
'''अवयव''' -- '''भाग'''
मिनरल ऑयल 210/220 15▼
▲सिरेसीन 64 डिग्री -- 25
कारनौबा मोम 5▼
▲मिनरल ऑयल 210/220 -- 15
मधुमक्खी का मोम 15▼
▲कारनौबा मोम -- 5
ब्रोमी ऐसिड 2▼
▲मधुमक्खी का मोम -- 15
रंगीन लेक 10▼
▲ब्रोमी ऐसिड -- 2
▲रंगीन लेक -- 10
===रचना विधि===
सर्वप्रथम ब्रोमो ऐसिड को घोलक द्रव्यों में मिला लिया जाता है और सभी मोमों को भली-भाँति पिघला कर गरम कर लिया जाता है। बाकी वसायुक्त पदार्थों को पतला करके उनमें रंगीन लेक और पिगमेंट मिलाकर श्लेषाम पेषणी (कोलायड मिल) से पीसकर एकरस कर लिया जाता है। तब ब्रोमो ऐसिड के घोल में सभी पदार्थ धीरे-धीरे छोड़कर खूब हिलाया जाता है ताकि वे आपस में ठीक-ठीक मिल जाएँ। जब जमने के ताप से 5° -10° सेंटी ऊँचा ताप रहे तभी इस मिश्रण को मिल में से निकालकर लिपिस्टिक के साँचों में ढाल लिया जाता है। इन साँचों को एकदम ठंडा कर लेना आवश्यक है।
दिन-प्रति-दिन परिवर्धमान वैज्ञानिक आविष्कारों के कारँ अंगरागों की निर्माण पद्धति और यौगिक पदार्थों में परिवर्तन होते रहते हैं।
== पठनीय ==
|