"राजेन्द्र यादव": अवतरणों में अंतर

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'''राजेन्द्र यादव''' (1929- वर्तमान) २८ अगस्त १९२९ ई० को आगरा उ०प्र० में जन्मे राजेन्द्र यादव हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध पत्रिका हंस के सम्पादक है। राजेन्द्र यादव ने १९५१ ई० में आगरा वि०वि० से एम०ए० हिन्दी की परीक्षा प्रथम श्रेणी, प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की।
'''राजेन्द्र यादव''' (1929- वर्तमान)
 
प्रकाशित पुस्तकें कहानी-संग्रह देवताओं की मूर्तियां: १९५१, खेल-खिलौनेः १९५३, जहां लक्ष्मी कैद हैः१९५७, अभिमन्यु की आत्महत्याः १९५९, छोटे-छोटे ताजमहलः१९६१, किनारे से किनारे तकः १९६२, टूटनाः १९६६, चौखटे तोड़ते त्रिाकोणः१९८७, श्रेष्ठ कहानियां, प्रिय कहानियां, प्रतिनिधि कहानियां, प्रेम कहानियां, चर्चित कहानियां, मेरी पच्चीस कहानियां, है ये जो आतिश गालिब(प्रेम कहानियां):२००८, अब तक की समग्र कहानियां, यहां तकः पड़ाव-१, पड़ाव-२ः १९८९, वहां तक पहुंचने की दौड़, हासिल तथा अन्य कहानियां
उपन्यास सारा आकाशः १९५९('प्रेत बोलते हैं' के नाम से १९५१ में), उखड़े हुए लोगः १९५६, कुलटाः१९५८, शह और मातः १९५९, अनदेखे अनजान पुलः१९६३, एक इंच मुस्कान(मन्नू भंडारी के साथ)१९६३, मंत्रा-विद्धः१९६७. एक था शैलेन्द्र (२००७)
कविता-संग्रह आवाज तेरी हैः १९६०.
समीक्षा-निबन्ध कहानीः स्वरूप और संवेदनाः१९६८, प्रेमचंद की विरासतः१९७८, अठारह उपन्यासः१९८१, औरों के बहानेः१९८१, कांटे की बात(बारह खंड)१९९४, कहानी अनुभव और अभिव्यक्तिः१९९६, उपन्यासः स्वरूप और संवेदनाः१९९८, आदमी की निगाह में औरतः२००१, वे देवता नहीं हैं : २००१, मुड़-मुड़के देखता हूं, २००२, अब वे वहां नहीं रहते : २००७, मेरे साक्षात्कारः१९९४, काश, मैं राष्ट्रद्रोही होता : २००८, जवाब दो विक्रमादित्य,(साक्षात्कार) २००७,
संपादन प्रेमचंद द्वारा स्थापित कथा-मासिक 'हंस' अगस्त,१९८६ से, एक दुनिया समानान्तरः१९६७, कथा-दशकः हिंदी कहानियां (१९८१-९०), आत्मतर्पणः१९९४, अभी दिल्ली दूर हैः १९९५, काली सुर्खियां(अश्वेत कहानी-संग्रह) : १९९५, कथा यात्राा, १९६७ अतीत होती सदी और स्त्राी का भविष्य २०००, औरत : उत्तरकथा २००१, देहरी भई बिदेस, कथा जगत की बाग़ी मुस्लिम औरतें, हंस के शुरुआती चार साल २००८ (कहानियां), वह सुबह कभी तो आएगी (सांप्रदायिकता पर लेख) : २००८,
चैखव के तीन नाटक (सीगल, तीन बहनें, चेरी का बगीचा)
अनुवाद उपन्यास : टक्कर(चैखव), हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव) प्रथम-प्रेम(तुर्गनेव), वसन्त-प्लावन(तुर्गनेव), एक मछुआ : एक मोती(स्टाइनबैक), अजनबी(कामू)- ये सारे उपन्यास 'कथा शिखर' के नाम से दो खंडों में- १९९४, नरक ले जाने वाली लिफ्‌ट, २००२
वर्तमान पता अक्षर प्रकाशन प्रा.लि., २/३६ अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-११०००२
 
[[आगरा|आगरे]] में जन्में हिन्दी के प्रमुख आलोचक एवं उपन्यासकार राजेन्द्र यादव '''[[हंस]]''' पत्रिका के संपादक, कहानीकार व उपन्‍यासकार हैं।