"कींस का सिद्धांत": अवतरणों में अंतर
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'''कींस का सिद्धांत''' या '''कींस का रोजगार सिद्धांत''' [[मंदी]] अथवा [[अवसाद]] की स्थिति में [[रोजगार]] से संबंधित है। [[जॉन मेनार्ड कीन्स]] ने अपने रोजगार सिद्धांत का प्रतिपादन अपनी प्रसिद्ध पुस्तक '''जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉयमेंट''' में १९३६ के दौरान किया था। कींस के अनुसार मंदी या अवसाद की स्थिति में [[बेरोजगारी]] अर्थव्यवस्था में समग्र माँग या समग्र व्यय की कमी के कारण होती है। इस प्रकार समग्र व्यय की वृद्धि के द्वारा बेरोजगारी में कमी लायी जा सकती है। अर्थव्यवस्था में व्यय की वृद्धि तथा [[अर्थव्यवस्था]] की अवसाद से बाहर निकालने के लिए कींस पहले [[अर्थशास्त्री]] थे जिन्होंने सरकारी व्यय पर बल दिया।<ref>[http://interzone.com/~cheung/SUM.dir/econthyk1.html'''Keynesians - Theories'''] </ref>
{{आधार}}[[श्रेणी:अर्थव्यवस्था]][[श्रेणी:अर्थशास्त्र]]
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