"भीमबेटका शैलाश्रय": अवतरणों में अंतर
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'''भीमबेटका''' (भीमबैठका) [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के [[रायसेन जिला|रायसेन जिले]] में स्थित एक [[पुरापाषाण काल|पुरापाषाणिक]] आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रो को [[पुरापाषाण काल]] से [[मध्यपाषाण काल]] के समय का माना जाता है। अन्य पुरावशेषों में प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, [[शुंग राजवंश|शुंग]]-[[गुप्त राजवंश|गुप्त कालीन]] अभिलेख, शंख अभिलेख और [[परमार राजवंश|परमार कालीन]] मंदिर के अवशेष भी
== शैलकला एवं शैलचित्र ==
[[चित्र:A man being hunted by a beast, Bhimbetka Cave paintings.jpg|thumb|250px| भीमबैठका [[शैलचित्र]] ]]
यहाँ ७५० शैलाश्रय हैं जिनमें ५०० शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। [[पूर्व पाषाण काल]] से [[मध्य ऐतिहासिक काल]] तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।<ref name="इन्क्रेडिबल"/> यह बहुमूल्य धरोहर अब [[भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण|पुरातत्व विभाग]] के संरक्षण में है।
शैलाश्रयों की अंदरूनी सतहों में उत्कीर्ण प्यालेनुमा निशान एक लाख वर्ष पुराने हैं। इन कृतियों में दैनिक जीवन की घटनाओं से लिए गए विषय चित्रित हैं। ये हज़ारों वर्ष पहले का जीवन दर्शाते हैं। यहाँ बनाए गए चित्र मुख्यतः नृत्य, संगीत, आखेट, घोड़ों और हाथियों की सवारी, आभूषणों को सजाने तथा शहद जमा करने के बारे में हैं। इनके अलावा [[बाघ]], [[सिंह]], [[जंगली सुअर]], [[हाथी|हाथियों]], [[कुत्ता|कुत्तों]] और [[घड़ियाल|घडियालों]] जैसे जानवरों को भी इन तस्वीरों में चित्रित किया गया है। यहाँ की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है, जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे।<ref name="भारत"/> इस प्रकार भीम बैठका के प्राचीन मानव के संज्ञानात्मक विकास का कालक्रम विश्व के अन्य प्राचीन समानांतर स्थलों से हजारों वर्ष पूर्व हुआ था। इस प्रकार से यह स्थल मानव विकास का आरंभिक स्थान भी माना जा सकता है।
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