"अष्टावक्र (महाकाव्य)": अवतरणों में अंतर

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| title_orig = अष्टावक्र महाकाव्य
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| image = [[Fileचित्र:Ramabhadracharya_Works_-_Ashtavakra_(2010).jpg|200px|Cover]]
| image_caption= अष्टावक्र महाकाव्य (प्रथम संस्करण) का आवरण पृष्ठ
| author = [[जगद्गुरु रामभद्राचार्य]]
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इस काव्य के नायक अष्टावक्र अपने शरीर के आठों अंगों से विकलांग हैं। महाकाव्य अष्टावक्र ऋषि की संकट से लेकर सफलता से होते हुए धन्यता तक की यात्रा प्रस्तुत करता है। महाकवि स्वयं दो मास की अल्पायु से प्रज्ञाचक्षु हैं, और उनके अनुसार इस महाकाव्य में विकलांगों की समस्त समस्याओं के समाधान सूत्र इस महाकाव्य में प्रस्तुत हैं। उनके अनुसार महाकाव्य के आठ सर्गों में विकलांगों की आठ मनोवृत्तियों के विश्लेषण हैं।<ref name="ashtavakra_purovak">रामभद्राचार्य २०१०, पृष्ठ क-ग।</ref>
 
== कथावस्तु ==
 
=== आठ सर्ग ===
 
# '''सम्भव'''
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# '''समाधान'''
 
== टिप्पणियाँ ==
{{Reflist}}
 
== सन्दर्भ ==
{{cite book | title = अष्टावक्र महाकाव्य | first=स्वामी | last=रामभद्राचार्य | publisher=जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय | place=चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, भारत | date=जनवरी १४, २०१०}}
 
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[[en:Ashtavakra (epic)]]
[[ru:Аштавакра (поэма)]]