"गाटफ्रीड लैबनिट्ज़": अवतरणों में अंतर

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'''लाइबनिज''' [[जर्मनी]] का एक महान [[दार्शनिक]] तथा [[वैज्ञानिक]] माना जाता है। उसका पूरा नाम `गौटरफ्राइड विल्हेल्म लाइबनिज' (Gottfried Wilhelm Leibniz) था।
 
== जीवनी ==
लैबनीज का जन्म जर्मनी के [[लिपजिग]] नामक स्थान पर पहली जुलाई 1646 को हुआ था। उसके पिता मोरल फिलॉसफी के प्रोफेसर थे। सन् 1652 ई. में छ वर्ष की अवस्था में लाइबनिज को लिपजिग स्थित निकोलाई स्कूल में पढ़ने के लिये भेजा गया। परन्तु दुर्भाग्यवश उसी वर्ष उसके पिता की मफत्यु हो गयी। इसके कारण उसकी पढ़ाई में काफी व्यवधान आने लगा। वह कभी स्कूल जाता था तो कभी नहीं जा पाता था। अब वह प्राय स्वाध्याय द्वारा विद्या-अर्जन करने लगा। अपने पिता से उसने इतिहास संबंधी काफी जानकारी प्राप्त की थी। इसके कारण उसकी अभिरुचि इतिहास के अध्ययन में काफी बढ़ गयी थी। इसके अलावा विभिन्न भाषाओं को सीखने में उसकी काफी अभिरुचि थी। आठ वर्ष की अवस्था में उसने लैटिन भाषा सीख ली। बारह वर्ष की अवस्था में उसने ग्रीक भाषा सीख ली। लैटिन में उसने कवितायें भी लिखनी शुरू कर दीं।
 
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गणित के क्षेत्र में लाइबनिज द्वारा किये गये शोध काफी महत्वपूर्ण रहे हैं। उसने कैलकुलस के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि कैलकुलस की शुरुआत काफी पहले ही यूनानी गणितज्ञों द्वारा वफत्त के क्षेत्रफल तथा बेलन, शंकु एवं गोलों के आयतन की गणना हेतु की जा चुकी थी, परन्तु वह कैलकुलस बिल्कुल प्रारम्भिक स्तर का था। लाइबनिज द्वारा कैलकुलस के विकास की दिशा में जो शोध किये गये वे मील के पत्थर साबित हुए। उसने डिफरेंशियशन तथा इंटेग्रेशन संबंधी जो संकेत शुरु किये उनका उपयोग आज तक किया जा रहा है।
 
सिर्फ विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, अपितु अध्यात्म तथा दर्शन के क्षेत्र में भी लाइबनिज का योगदान काफी महत्वपूर्ण था। इस दिशा में उसके द्वारा अधिकांश कार्य सन् 1685 से सन् 1716 ई. के बीच किये गये। उसने दर्शन संबंधी अपने सिद्धांतों के लेखन का कार्य सन् 1686 ई. में ही पूरा कर लिया था जब उसने `िडस्कोर्स मेटाफिजिक' नामक पांडुलिपि का लेखन कार्य पूरा किया। परन्तु दुर्भाग्यवश उसके द्वारा लिखित इस पांडुलिपि का प्रकाशन उसकी मफत्यु के लगभग 130 वषाX के बाद सन् 1846 में किया जा सका। उसके जीवन काल में उसकी सिर्फ एक ही कफढति प्रकाशित हो पायी थी जिसका नाम था `एस्सेज डि थियोडिसी सुरला बोंटे डि डिउला लिबर्टी डि एल हिम्मे।' यह पुस्तक सन् 1710 ई. में दो खंडों में प्रकाशित हुई थी। हालांकि लाइबनिज द्वारा लिखित पुस्तकें अधिक प्रकाशित नहीं हुईं, परन्तु उसके द्वारा लिखे गये शोध पत्र समय-समय पर कई प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे। जिन पत्रिकाओं में उसके शेध पत्र प्राय प्रकाशित होते थे, उनमें प्रमुख थीं- (ग्) लिपजिग से प्रकाशित होने वाला `ऐक्टा इरुडिटोरम' तथा पेरिस से प्रकाशित होने वाला `जॅर्नल डि सावन्त्स'। इन प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित उसके शोध पत्रों ने उसे वैज्ञानिक जगत में काफी अच्छी ख्याति दिलायी।
 
लाइबनिज ने अपने समकालीन दार्शनिकों तथा वैज्ञानिकों को जो पत्र लिखे थे वे भी शोध स्तर के थे। उदाहरणार्थ उसने सैम्युएल क्लार्क को जो पत्र लिखे थे उनमें ईश्वर, आत्मा, काल एवं स्थान इत्यादि के संबंध में प्रतिपादित उसके सिद्धांतों की विस्तफत चर्चा की गयी थी। इन पत्रों में उसके द्वारा जो विचार व्यक्त किये गये थे वे सब के सब उच्च स्तर के दर्शन से संबंधित मालूम पड़ते हैं।
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[[ko:고트프리트 빌헬름 라이프니츠]]
[[ku:Gottfried Wilhelm Leibniz]]
[[ky:Лейбниц, Готфрид Вильгельм]]
[[la:Godefridus Guilielmus Leibnitius]]
[[lb:Gottfried Wilhelm Leibniz]]