"शंकर दयाल सिंह": अवतरणों में अंतर

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'''शंकर(पुत्र)<br> दयाल सिंह''' (१९३७-१९९५) ([[अंग्रेजी]]: Shankar Dayal Singh) [[भारत]] के राजनेता तथा [[हिन्दी]] साहित्यकार थे। वे राजनीति व साहित्य दोनों क्षेत्रों में समान रूप से लोकप्रिय थे। उनकी असाधारण [[हिन्दी सेवा]] के लिये उन्हें सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। उनके सदाबहार बहुआयामी व्यक्तित्व में ऊर्जा और आनन्द का अजस्र स्रोत छिपा हुआ था।<ref>व्होरा आशा रानी ''मेरे ये आदरणीय और आत्मीय'' पृष्ठ १४६</ref> उनका अधिकांश जीवन यात्राओं में ही बीता और यह भी एक विचित्र संयोग ही है कि उनकी मृत्यु यात्रा के दौरान उस समय हुई जब वे अपने निवास स्थान [[पटना]] से भारतीय संसद के शीतकालीन अधिवेशन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने [[दिल्ली]] आ रहे थे। नई-दिल्ली रेलवे स्टेशन पर २७ नवम्बर १९९५<ref>व्होरा आशा रानी ''मेरे ये आदरणीय और आत्मीय'' पृष्ठ १५४</ref> की सुबह ट्रेन से कहकहे लगाते हुए शंकर दयाल सिंह तो नहीं उतरे, अपितु बोझिल मन से उनके परिजनों ने उनके शव को उतारा।
 
'''शंकर दयाल सिंह''' (१९३७-१९९५) ([[अंग्रेजी]]: Shankar Dayal Singh) [[भारत]] के राजनेता तथा [[हिन्दी]] साहित्यकार थे। वे राजनीति व साहित्य दोनों क्षेत्रों में समान रूप से लोकप्रिय थे। उनकी असाधारण [[हिन्दी सेवा]] के लिये उन्हें सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। उनके सदाबहार बहुआयामी व्यक्तित्व में ऊर्जा और आनन्द का अजस्र स्रोत छिपा हुआ था।<ref>व्होरा आशा रानी ''मेरे ये आदरणीय और आत्मीय'' पृष्ठ १४६</ref> उनका अधिकांश जीवन यात्राओं में ही बीता और यह भी एक विचित्र संयोग ही है कि उनकी मृत्यु यात्रा के दौरान उस समय हुई जब वे अपने निवास स्थान [[पटना]] से भारतीय संसद के शीतकालीन अधिवेशन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने [[दिल्ली]] आ रहे थे। नई-दिल्ली रेलवे स्टेशन पर २७ नवम्बर १९९५<ref>व्होरा आशा रानी ''मेरे ये आदरणीय और आत्मीय'' पृष्ठ १५४</ref> की सुबह ट्रेन से कहकहे लगाते हुए शंकर दयाल सिंह तो नहीं उतरे, अपितु बोझिल मन से उनके परिजनों ने उनके शव को उतारा।
 
==जन्म और जीवन==
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==सन्दर्भ==
{{reflist}}
#सिंह शंकर दयाल सिंह ''राजनीति की धूप : साहित्य की छाँव'' १९९२ [[पटना]] पारिजात प्रकाशन
#व्होरा [[आशा रानी व्होरा]] ''मेरे ये आदरणीय और आत्मीय'' २००२ [[नई दिल्ली]] नमन प्रकाशन ISBN 8187368071
==बाहरी कड़ियाँ==
#http://krantmlverma.blogspot.com/2011/07/shankar-dayal-singh.html