"ट्रैक्टर": अवतरणों में अंतर
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*2. स्थिर कार्य (stationary work), जैसे पट्टक घिरनी आदि उपकरणों की सहायता से स्थिर या चल यंत्रों के यंत्रविन्यास (mechanism) को चलने के लिये होता है।
साधारणत: '''कर्षण कार्य''' ये हैं: <br>
(ख) बीज डालना, <br>
(ग) पौध लगाना, <br>
(घ) फसल लगाना, <br>
(ड) फसल काटना, आदि। <br>
'''स्थिर कार्य''' ये हैं: <br>
(क) जल को पंप करना, <br>
(ख) गाहना (threshing), <br>
(ग) भरण पेषण (Feed Grinding), <br>
(घ) लकड़ी चीरना, आदि। <br>
विभिन्न प्रकर के कार्यों के लिये पाँच प्रकार मुख्य मूल चालक (prime movers) निम्नलिखित हैं:
1. घरेलू जानवर, <br>
2. वायुचालित यंत्र, <br>▼
3. जलचालित यंत्र, <br>▼
4. विद्युच्चालित यंत्र, <br>▼
इन मूल चालकों में से केवल घरेलू जानवरों एवं उष्माइंजन का ही कर्षण कार्य के लिए सफलतापूर्वक व्यवहार किया जाता है। वायु, जल एवं बिजली द्वारा प्राप्त शक्ति का उपयोग सिर्फ स्थिर कार्यों के लिय ही हो सकते है।
▲2. वायुचालित यंत्र,
▲3. जलचालित यंत्र,
▲4. विद्युच्चालित यंत्र,
▲5. उष्माइंजन (heat engines)।
▲इन मूल चालकों में से केवल घरेलू जानवरों एवं उष्माइंजन का ही कर्षण कार्य के लिए सफलतापूर्वक व्यवहार किया जाता है। वायु, जल एवं बिजली द्वारा प्राप्त शक्ति का उपयोग सिर्फ स्थिर कार्यों के लिय ही हो सकते है। ग्रेटब्रिटेन, अमरीका आदि देशों में 1920 ई0 तक कृषि संबंधी कार्यों के लिये घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जाता था; किंतु उसके बाद पशुओं का व्यवहार कम होत गया। आजकल वहाँ इन कार्यों के लिये प्राय: ट्रैक्टर का ही व्यवहार किया जाता हैं।
==लाभ==
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