"शिवालिक": अवतरणों में अंतर

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शिवालिक पट्टी के उत्तर में 1500-3000 मीटर तक का [[महाभारत लेख]] क्षेत्र है, जिसे छोटा हिमालय, या लैस्सर हिमालय भी कहा जाता है। कई स्थानों पर यह दोनों मालाएं एकदम निकटवर्ती हैं, और कई स्थानों पर 10-20 की.मी. चौड़ी हैं। इन घाटियों को ब्न्हारत में दून कहा जाता है। (उदा० [[दून घाटी]] जिसमें [[देहरादून]] भी पतली दून एवं कोठरी दून के साथ (दोनों [[उतराखंड]] के [[कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान]] में, ) तथा [[हिमाचल प्रदेश]] में पिंजौर दून भी आते हैं। [नेपाल]] में इन्हें आंतरिक तराई भी कहा जाता है, जिसमें चितवन, डांग-देउखुरी और सेरखेत आते हैं।
== आबादी ==
शिवालिक की प्रसरणशील कणों की अविकसित मिट्टी जल संचय नहीं करती है, अतएव खेती के लिये अनुपयुक्त है। यह कुछ समूह, जैसे वन गुज्जर, जो कि पशु-पालन से अपनी जीविका चलाते हैं, उनसे वासित है। यहपूरे समूहशिवालिक इसएवं क्षेत्रमहाभारत केश्रेणी भारीकी अवनीकरणदक्षिणी केतीव्र लियेढालों उत्तरदायीमें भीकम है।जनसंख्या इसकाघनत्व कारणएवं हैइसके तराई क्षेत्रों में विषमय मलेरिया ही उत्तर भारतीय समतल क्षेत्रों एवं घनी आबादी वाले कई पर्वतीय क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक, किभाषा उनकेआधारित रेवड़ोंऔर राजनैतिक दूरियों का आकारमुख्य इतनाकारण बड़ारहे है,हैं। किइस वहही यहांकारण केदोनों पारिस्थितिकक्षेत्र तंत्रविभिन्न परतरीकों भारीसे पड़ताउभरे है।हैं।
पूरे शिवालिक एवं महाभारत श्रेणी की दक्षिणी तीव्र ढालों में कम जनसंख्या घनत्व एवं इसके तराई क्षेत्रों में विषमय मलेरिया ही उत्तर भारतीय समतल क्षेत्रों एवं घनी आबादी वाले कई पर्वतीय क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक, भाषा आधारित और राजनैतिक दूरियों का मुख्य कारण रहे हैं। इस ही कारण दोनों क्षेत्र विभिन्न तरीकों से उभरे हैं।
 
== सन्दर्भ ==