"अष्टछाप": अवतरणों में अंतर
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इनमे सूरदास प्रमुख थे,अपनी निश्चल भक्ति के काराण ये लोग भगवान कृष्ण के सखा भी माने जाते थे, परम भागवत होने के कारण यह लोग भगवदीय भी कहे जाते थे,यह सब विभिन्न वर्णों के थे,परमानन्द कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे,कृष्णदास शूद्रवर्ण के थे,कुम्भनदास राजपूत थे,लेकिन खेती का काम करते थे,सूरदासजी किसी के मत से सारस्वत ब्राह्मण थे और किसी किसी के मत से ब्रह्मभट्ट थे,गोविन्ददास सनाढ्य ब्राह्मण थे,और छीत स्वामी माथुर चौबे थे,नन्ददासजी सनाढ्य ब्राह्मण थे,अष्टछाप के भक्तों में बहुत ही उदारता पायी जाती है,"चौरासी वैष्णव की वार्ता",तथा "दो सौ वैष्ण्वन की वार्ता",में इनका जीवनवृत विस्तार से पाया जाता है.
[[श्रेणी:साहित्यिक आंदोलन|अष्टछाप]]
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