"किशोरीदास वाजपेयी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:KishoriDasVajpeyi.jpg|right|thumb|200px|आचार्य किशोरीदास वाजपेयी]]
'''आचार्य किशोरीदास वाजपेयी''' (१८९८-१९८१) [[हिन्दी]] के साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध [[वैयाकरण|व्याकरणाचार्य]] थे। हिन्दी की [[खड़ी बोली]] के [[व्याकरण]] की निर्मिति में पूर्ववर्ती भाषाओं के व्याकरणाचार्यो द्वारा निर्धारित नियमों और मान्यताओं का उदारतापूर्वक उपयोग करके इसके मानक स्वरूप को वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पन्न करने का गुरवरगुरुतर दायित्व पं. किशोरीदास वाजपेयी ने निभाया। इसीलिए उसे 'हिन्दी का पाणिनी' कहा जाता है। अपनी तेजस्विता व प्रतिभा से उन्होंने साहित्यजगत को आलोकित किया और एक महान भाषा के रूपाकार को निर्धारित किया।
 
आचार्य किशोरीदास बाजपेयी ने हिन्दी को परिष्कृत रूप प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इनसे पूर्व खडी बोली हिन्दी का प्रचलन तो हो चुका था पर उसका कोई व्यवस्थित व्याकरण नहीं था । अत: आपने अपने अथक प्रयास एवं ईमानदारी से भाषा का परिष्कार करते हुए व्याकरण का एक सुव्यवस्थित रूप निर्धारित कर भाषा का परिष्कार तो किया ही साथ ही नये मानदण्ड भी स्थापित किये । स्वाभाविक है भाषा को एक नया स्वरूप मिला । अत: हिन्दी क्षेत्र में आपको "पाणिनि' संज्ञा से अभिहित किया जाने लगा ।