"कृंतक": अवतरणों में अंतर

छो r2.7.1) (Robot: Adding tt:Кимерүчеләр
No edit summary
पंक्ति 1:
[[चित्र:Indian Palm Squirrel Portrait.jpg|right|thumb|300px|गिलहरी]]
वर्तमान स्तनधारियों में सर्वाधिक सफल एवं समृद्ध गण '''कृंतक''' (Rodentia) का है, जिसमें १०१ जातियाँ जीवित प्राणियों की तथा ६१ जातियाँ अश्मीभूत (Fossilized) प्राणियों की रखी गई हैं। जहाँ तक जातियों का प्रश्न है, समस्त स्तनधारियों के वर्ग में लगभग ४,५०० जातियों के प्राणी आजकल जीवित पाए जाते हैं, जिनमें से आधे से भी अधिक (२,५०० के लगभग) जातियों के प्राणी कृंतकगण में ही आ जाते हैं। शेष २,००० जातियों के प्राणी अन्य २० गणों में आते हैं। इस गण में गिलहरियाँ, हिममूष, (Marmots) उड़नेवाली गिलहरियाँ (Flyiug squirrels) श्वमूष, (Prairie dogs) छछूँदर (Musk rats) , धानीमूष, (Pocket dogs) ऊद (Beavers), चूहे (Rats), मूषक (Mice) , शाद्वलमूषक (Voles), जवितमूष (Gerbille) , वेणमूषक (Bamboo rats), साही (Porcupines) , बंटमूष (Guinea pigs), आदि स्तनधारी प्राणी आते हैं।
[[चित्र:Bristol.zoo.capybara.arp.jpg|right|thumb|300px|'''कैपीबारा''' : सबसे बड़ा जीवित कृंतक प्राणी]]
वर्तमान स्तनधारियों में सर्वाधिक सफल एवं समृद्ध गण '''कृंतक''' (Rodentia) का है, जिसमें १०१ जातियाँ जीवित प्राणियों की तथा ६१ जातियाँ [[जीवाश्म|अश्मीभूत]] (Fossilized) प्राणियों की रखी गई हैं। जहाँ तक जातियों का प्रश्न है, समस्त [[स्तनधारी|स्तनधारियों]] के वर्ग में लगभग ४,५०० जातियों के प्राणी आजकल जीवित पाए जाते हैं, जिनमें से आधे से भी अधिक (२,५०० के लगभग) जातियों के प्राणी कृंतकगण में ही आ जाते हैं। शेष २,००० जातियों के प्राणी अन्य २० गणों में आते हैं। इस गण में [[गिलहरी|गिलहरियाँ]], [[हिममूष,]] (Marmots), [[उड़नेवाली गिलहरी|उड़नेवाली गिलहरियाँ]] (Flyiug squirrels) [[श्वमूष]], (Prairie dogs) [[छछूँदर]] (Musk rats) , [[धानीमूष]], (Pocket dogs) [[ऊद]] (Beavers), [[चूहा|चूहे]] (Rats), [[मूषक]] (Mice) , [[शाद्वलमूषक]] (Voles), जवितमूष (Gerbille) , वेणमूषक (Bamboo rats), [[साही]] (Porcupines) , [[बंटमूष]] (Guinea pigs), आदि स्तनधारी प्राणी आते हैं।
 
पृथ्वी पर जहाँ भी प्राणियों का आवास संभव है वहाँ कृंतक अवश्य पाए जाते हैं। ये [[हिमालय]] पर्वत पर २०,००० फुट की ऊँ चाईऊँचाई तक और नीचे [[समुद्र]] तल तक पाए जाते हैं। विस्तार में ये उष्णकटिबंध से लेकर लगभग ्ध्राुवप्रदेशोंध्रुवीयप्रदेशों तक मिलते हैं। ये मरु स्थल उष्णप्रधान वर्षावन, दलदल और मीठे जलाशय-सभी स्थानों पर मिलते हैं: कोई समुद्री कृंतक अभी तक देखने में नहीं आया है। अधिकांश कृंतक स्थलचर हैं और प्राय: बिलों में रहते हैं, किंतु कुछेक जैसे गिलहरियाँ आदि, वृक्षाश्रयी हैं। कुछ कृंतक उड़ने का प्रयत्न भी कर रहे हैं, फलत: उड़नेवाली गिलहरियों का विकास हो चुका है। इसी प्रकार, यद्यपि अभी तक पूर्ण रूप से जलाश्रयी कृंतकों का विकास नहीं हो सका है, फिर भी ऊद तथा छछूँदर इस दिशा में पर्याप्त आगे बढ़ चुके हैं।
 
== लाक्षणिक विशेषताएँ ==
कृंतकों की प्रमुख लाक्षणिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
 
1. इनमें श्वदंतों (Canines) तथा अगले प्रचर्वण दंतों की अनुपस्थिति के कारण दंतावकाश (Diastema) पर्याप्त विस्तृत होता है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कृंतक" से प्राप्त