"काला बौना": अवतरणों में अंतर

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आकाशगंगा के स्थान पर गैलेक्सी
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[[खगोलशास्त्र]] में '''काला बौना''' या '''ब्लैक ड्वार्फ़''' एक बचे-कुचे तारे को बोला जाता है जो बहुत घना हो और जिस से रौशनी और गरमी न आ रही हो या बहुत की कम मात्रा में आ रही हो। वैज्ञानिकों का मानना है के [[सफ़ेद बौने]] तारे अरबों सालों में ठन्डे पड़कर काले बौने बन जाते हैं।
 
माना जाता है के जिन तारों में इतना द्रव्यमान नहीं होता के वे आगे चलकर अपना इंधन ख़त्म हो जाने पर [[न्यूट्रॉन तारा]] बन सकें, वे सारे सफ़ेद बौने बन जाते हैं। इस नज़रिए से [[क्षीरमार्गआकाशगंगा]] (हमारी [[आकाशगंगागैलेक्सी]]) के ९७% तारों के भाग्य में सफ़ेद बौना बन जाना ही लिखा है। सफ़ेद बौनों की रौशनी बड़ी मध्यम होती है। वक़्त के साथ-साथ सफ़ेद बौने ठन्डे पड़ते जाते हैं और वैज्ञानिकों की सोच है के अरबों साल में अंत में जाकर वे बिना किसी रौशनी और गरमी के काले बौने बन जाते हैं। क्योंकि हमारा [[ब्रह्माण्ड]] केवल १३.७ अरब साल पुराना है इसलिए अभी इतना समय ही नहीं गुज़रा के कोई भी सफ़ेद बौना पूरी तरह ठंडा पड़कर काला बौना बन सके। इस वजह से आज तक खगोलशास्त्रियों को कभी भी कोई काला बौना नहीं मिला है।
 
==इन्हें भी देखें==