"यशवंतराव होलकर": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) नया पृष्ठ: {{आधार}} right|thumb|300px|यशवंतराव होलकर '''यशवंतराव होलकर''' [... |
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'''यशवंतराव होलकर''' [[तुकोजी होलकर]] का पुत्र था। वह उद्दंड होते हुए भी बड़ा साहसी तथा दक्ष सेनानायक था। तुकोजजी की मृत्यु पर (1797) उत्तराधिकार के प्रश्न पर दौलतराव शिंदे के हस्तक्षेप तथा तज्जनित युद्ध में यशवंतराव के ज्येष्ठ भ्राता मल्हरराव के वध (1797) के कारण, प्रतिशोध की भावना से प्रेरित हो यशवंतराव ने शिंदे के राज्य में निरंतर लूट-मार आरंभ कर दी। [[अहिल्या बाई होलकर|अहिल्या बाई]] का संचित कोष हाथ आ जाने से (18000 ई) उसकी शक्ति और भी बढ़ गई। 1802 में उसने [[पेशवा]] तथा शिंदे को सम्मिलित सेना को पूर्णतया पराजित किया जिससे पेशवा ने बसई भागकर अंग्रेजों से संधि की (31 दिसंबर, 1802)। फलस्वरूप [[आंग्ल-मराठा-युद्ध]] छिड़ गया। शिंदे से वैमनस्य के कारण मराठासंघ छोड़ने में यशवंतराव ने बड़ी गलती की क्योंकि भोंसले तथा शिंदे क पराजय के बाद, होलकर को अकेले अंग्रेजों से युद्ध करना पड़ा। पहले ता यशवंतराव ने मॉनसन पर विजय पाई (1804), किंतु, फर्रूखाबाद (नवम्बर 17) तथा डीग (दिसंबर 13) में उसकी पराजय हुई। फलस्वरूप उसे अंग्रेजों से [[संधि]] स्थापित करनी पड़ी (24 दिसबंर, 1805) अंत में, पूर्ण विक्षिप्तावस्था में, तीस वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो गई (28 अक्टूबर, 1811)।
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