"मूत्ररोग विज्ञान": अवतरणों में अंतर

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पुरूष के जनतंत्र में [[शिश्न]], [[वृषणकोष]] (scrotum), [[वृषण]] (testicle), [[एपिडिडिमिस]] (epididymis), वृषण रज्जु (spermatic cord), प्रॉस्टेटा (prostate) ग्रंथि तथा शुक्राशय होते हैं और ये सब जननक्रिया में काम आते हैं।
 
bar bar pishab ata hai bar bar pias lgti hai phle shugr thi ab normal hai 40-50 bar din mein pishab ata hai raat ko bhi 4-5 bar jana pdta hai smadhan btain
==मूत्ररोग के लक्षण==
पीड़ा, रक्तमूत्रता (haematuria) तथा बारंबारता मूत्ररोग के सामान्य लक्षण हैं। पीड़ा मूत्रवाहिनी शूल (colic) तथा मूत्राशय, प्रॉस्टेट ग्रंथि, मूत्रमार्ग, अथवा जनन पथ के रोगों के कारण शरीर के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार से हो सकती है। रक्तमेह मूत्रतंत्र के किसी अंग के अथवा रक्त के, विकार से हो सकता है। बारंबारता के साथ अतिपात (urgency), हिचकिचाहट (hesitancy), बहुमूत्रकता (polyuria) तथा मूत्रकृच्छ (dysuria) भी कहते हैं। इनके अतिरिक्त मूत्र प्रतिधारण (urinary retention), अमूत्रता (anuria), मूत्र अनिग्रह (incontinence), ज्वर, परिस्पृश्य पुंज (palpable mass), बात मूत्रता (pneumaturia), शोफ़ (oedema), उपघात (injury), तथा रक्तमूत्र विषाक्तता (uraemia) आदि भी मूत्ररोग के लक्षण हो सकते हैं।