"खेल सिद्धांत": अवतरणों में अंतर
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'''खेल सिद्धांत''' या '''गेम थ्योरी''' (<small>game theory</small>) [[व्यवहारिक गणित]] की एक शाखा है जिसका प्रयोग [[समाज विज्ञान]],
▲'''गेम थ्योरी''' [[व्यवहारिक गणित]] की एक शाखा है जिसका प्रयोग [[समाज विज्ञान]], खासकर [[अर्थशास्त्र]], साथ ही साथ [[जीव विज्ञान]], [[इंजीनियरिंग]], [[राजनीति विज्ञान]], [[अंतर्राष्ट्रीय संबंध]], [[कम्प्यूटर साइंस]], और [[दर्शन]] में किया जाता है. गेम थ्योरी ''कूटनीतिक परिस्थितियों'' , जिसमें किसी के द्वारा विकल्प चुनने की सफलता दूसरों के चयन पर निर्भर करती है, व्यवहार को बूझने का प्रयास करता है. यूं तो शुरू में इसे उन प्रतियोगिताओं का विश्लेषण करने के लिए विकसित किया गया था जिसमें एक व्यक्ति को दूसरे की गलतियों के कारण फायदा होता है ([[जीरो सम गेम्स]]), इसका विस्तारीकरण पारस्परिक प्रभावों के एक बड़े वर्ग का वर्णन करने के लिए किया गया है जो (पारस्परिक प्रभाव)कई [[मानदंडों]] के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं. आज, "गेम थ्योरी समाज विज्ञान के तार्किक पक्ष के लिए एक छतरी या 'यूनीफाइड फील्ड' थ्योरी की तरह है जिसमें 'सामाजिक' की व्याख्या मानव के साथ-साथ दूसरे खिलाड़ियों (कम्प्युटर, जानवर, पौधे) को सम्मिलित कर की जाती है.{{harv|Aumann|1987}}
गेम थ्योरी के पारंपरिक अनुप्रयोगों में इन गेमों में साम्यवास्थाएं खोजने का प्रयास किया जाता है. साम्यावस्था में गेम का प्रत्येक खिलाड़ी एक नीति अपनाता है जो वह संभवतः नहीं बदलता है. इस विचार को समझने के लिए [[साम्यावस्था की कई सारी अवधारणाएं]] विकसित की गई हैं (सबसे प्रसिद्ध [[नैश इक्विलिब्रियम]]). साम्यावस्था के इन अवधारणाओं की अभिप्रेरणा अलग-अलग होती है और इस बात पर निर्भर करती है कि वे किस क्षेत्र में प्रयोग की जा रहीं हैं, हालांकि उनके मायने कुछ हद तक एक दूसरे में मिले-जुले होते हैं और मेल खाते हैं. यह पद्धति आलोचना रहित नहीं है और साम्यावस्था की विशेष अवधारणाओं की उपयुक्तता पर, साम्यवास्थाओं की उपयुक्तता पर, और आमतौर पर गणितीय मॉडलों की उपयोगिता पर वाद-विवाद जारी रहते हैं.
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