"इस्लाम एवं अन्य धर्म": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Sufi photos 051.jpg|250px|thumb|भारत के अजमेर शहर में सूफी संत मोइनुदीन चिश्ती की दरगाह। यहां रोज़ हज़ारों हिन्दू और मुसलमान श्रद्धांजलि देने आते हैं
।]]
{{इस्लाम}}
अन्य धर्मों से [[इस्लाम]] का संपर्क समय और परिस्थ्ति से प्रभावित रहा है। यह संपर्क मुहम्मद साहब के समय से ही शुरु हो गया था। उस समय इस्लाम के अलावा अरब में ३ परम्पराओं के मानने वाले थे। एक तो अरब का पुराना धर्म (जो अब लुप्त हो चुका है) था जिसकी वैधता इस्लाम ने नहीं स्वीकार की। इसका कारण था कि वह धर्म ईश्वर की एकता को नहीं मानता था जो कि इस्लाम के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध था। [[ईसाई धर्म]] और [[यहूदी धर्म]] को इस्लाम ने वैध तो स्वींकार कर लिया पर इस्लाम के अनुसार इन धर्मों के अनुयायियों और पुजारियों ने इनमें बदलाव कर दिये थे। मुहम्म्द साहब ने अपने मक्का से मदीना पहुंचने के बाद वहाँ के यहूदियों के साथ एक संधि करी जिसमें यहूदियों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को स्वींकारा गया।<ref>Jacob Neusner, ''God's Rule: The Politics of World Religions'', p. 153, Georgetown University Press, 2003, ISBN 0-87840-910-6</ref> अरब बहुदेववादियों के साथ भी एक संधि हूई जिसे हुदैबा की सुलह कहते हैं।