"सामान्य आपेक्षिकता": अवतरणों में अंतर

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[[File:spacetime curvature.png|thumb|300px|पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का असली स्रोत दिक्-काल का मुड़ाव है, ठीक एक चादर के बीच में रखे एक भारी गोले की तरह]]
[[Image:Einstein cross.jpg|thumb|225px|आइनस्टाइन क्रॉस एक ऐसे क्वासर का नाम है जिसके आगे एक बड़ी [[आकाशगंगा]] एक गुरुत्वाकर्षक लेंस बन कर उसकी चार छवियाँ दिखाती है- ग़ौर से देखने पर पता लगता है कि यह चारों वस्तुएं वास्तव में एक ही हैं]]
[[दिक्]] [[संस्कृत]] का शब्द है जिसका अर्थ है इर्द-गिर्द की जगह। इसे अंग्रेजी में "स्पेस" कहते हैं। मनुष्य दिक् के तीन पहलुओं ([[आयामों]] या डिमॅनशनों) को भाप सकने की क्षमता रखते हैं- ऊपर-नीचे, आगे-पीछे और दाएँ-बाएँ। आम जीवन में मनुष्य दिक् में कोई बदलाव नहीं देखते। न्यूटन की भौतिकी कहती थी कि अगर अंतरिक्ष में दो वस्तुएँ एक-दुसरेदूसरे से एक किलोमीटर दूर हैं और उन दोनों में से कोई भी न हिले, तो वे एक-दुसरेदूसरे से एक किलोमीटर दूर ही रहेंगी। हमारा रोज़ का साधारण जीवन भी हमें यही दिखलाता है। लेकिन आइनस्टाइन ने कहा कि ऐसा नहीं है। दिक् खिच और सिकुड़ सकता है। ऐसा भी संभव है कि जो दो वस्तुएँ एक-दुसरेदूसरे से एक किलोमीटर दूर हैं वे स्वयं न हिलें, लेकिन उनके बीच का दिक् कुछ परिस्थितियों के कारण फैल कर सवा किलोमीटर हो जाए या सिकुड़ के पौना किलोमीटर हो जाए।
 
न्यूटन की शास्त्रीय भौतिकी में यह कहा जाता था कि ब्रह्माण्ड में हर जगह समय (काल) की रफ़्तार एक ही है। अगर आप एक जगह टिक कर बैठे हैं और आपका कोई मित्र प्रकाश से आधी गति की रफ़्तार पर दस साल का सफ़र तय करे तो, उस सफ़र के बाद, आपके भी दस साल गुज़र चुके होंगे और आपके दोस्त के भी। लेकिन आइनस्टाइन ने इस पर भी कहा कि यह विश्वास ग़लत​ है। जब कोई चीज़ गति से चलती है, उसके लिए समय धीरे हो जाता है और वह जितना तेज़ चलती है, समय उतना ही धीरे हो जाता है। आपका मित्र अगर अपने हिसाब से दस वर्ष तक रोशनी से आधी गति पर यात्रा कर के लौट आए, तो उसके तो दस साल गुज़रेंगे लेकिन आपके साढ़े ग्यारह साल गुज़र चुके होंगे।