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- वह कौन था? - अनिल धामा ”यश बादल“
 
वह देखने में कैसा लगता था, बताना मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि वह काफी उदास और परेशान था।
 
मैंने इंसान होने के नाते पूछ लिया क्या हुआ? बड़े परेशान दिखाई दे रहे हो। क्या मैं आप की कोई सहायता कर सकता हूँ?
 
‘हाँ, मैं उसके लिए काफी परेशान हूँ। जाने उस पर क्या बीत रही होगी...जाने वो कैसे हाल में होगी...’ उसने एक लम्बी सांस छोड़ते हुए कहा।
 
‘वो..वो कौन?’
 
‘वो जिससे मेरा विवाह होने वाला था। मैं उससे बहुत महौब्बत करता था और वह में मुझे दिलों-जान से चाहती थी।’ वह अपनी लवस्टोरी सुनाए चला जा रहा था और मुझे भी उसकी लवस्टोरी में आनंद आ रहा था।
 
‘उसके बाद क्या हुआ?’ मैं उसकी प्रेम कहानी आगे सुनने को बेचैन था।
 
‘फिर... उसके माता-पिता नहीं माने। लेकिन हम एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। एक दिन सुना कि उसके माता-पिता ने ज़बरदस्ती उसका विवाह दूसरी जगह पक्का कर दिया।’
 
‘फिर?’
 
‘मैंने उससे मिलने के लिए दिन-रात एक कर दिए, लेकिन...’
‘लेकिन क्या.....‘ मैंने पूछा।
 
‘लेकिन मैं उससे मिल नहीं पाया।’ उसने गहरी साँस छोडते हुए कहा, ‘और मैंने खुदखुशी कर ली।’
 
‘...खुदखुशी....पर तुम तो....’
 
‘अब मैं जीवित नहीं हूँ।’
‘क् क्या..मेरी उत्सुकता डर में तब्दील गई थी।’
 
‘घबराओ मत, मैं तुम्हें किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाऊंगा। बस तुम मेरी ज़रा-सी सहायता कर दो।’
 
‘हाँ बोलो’ मैंने राहत की साँस ली।
 
‘मैं उससे आज भी बहुत-अधिक प्रेम करता हूँ, उसका प्रेम ही मुझे इस रूप में भी यहाँ खींच लाया है। मैं बस यह जानना चाहता हूँ कि वो ठीक तो है! कहीं मेरे मरने की ख़बर सुनकर उसने भी ....और मेरे माता-पिता... क्या तुम मेरी सहायता करोगे?’
 
‘‘अरे आज इतनी देर तक सो रहा है! उठ चाय-नाश्ता तैयार है।’’ किचिन से मम्मी के तीखे स्वर ने मेरी आंखें खोल दीं।
 
‘ओह, आया मम्मी!’ मुझे उस दूसरी दुनिया के उस प्राणी से अपनी बातचीत अधूरी रह जाने का खेद था। काश! मम्मी ने 10 मिनट बाद जगाया होता तो कम से कम उसे इतना तो बता देता कि - ‘हे भाई, बेवजह टेंशन ले रहे हो। यहाँ सब ठीक ही होंगे. तुम्हारे माता-पिता भी ठीक-ठाक होंगे। और उसने भी तुम्हें भुला दिया होगा। क्योंकि तुम्हें पता होना चाहिए कि शादी के पश्चात औरत का एक तरह से दूसरा जन्म ही होता है। और वैसे भी हम धरती के प्राणी मृत प्राणी को याद नहीं करते हैं, क्योंकि मरे हुओं को याद करना अपशकुन समझते हैं। और भूले से भी अपने या उसके घर न चले जाना। जिनके लिए तुम इतने परेशान और दुःखी हो, वो ‘भूत-भूत’ चिल्लाएंगे तुम्हें देखकर और दूर भागेंगे तुमसे।’
 
‘अरे बेवकूफ, इस धरती के लोग यहीं के लोगों से प्यार निभा लें तो बहुत है! तुम तो बहुत दूर जा चुके हो।’ लेकिन मुझे अफसोस है कि ये सब बातें मैं उसे नहीं कह सका।
 
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