"डॉकयार्ड": अवतरणों में अंतर

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सभी राजकीय डॉकयार्ड नौसैनिक अड्डे होते हैं, किंतु सभी नौसैनिक अड्डे डॉकयार्ड नहीं होते। आधुनिक बेड़ों के लिए अड्डों का होना आवश्यक है, जहाँ से वह अपना कार्य कर सकें। निरापद बंदरगाह अड्डे की प्राथमिक आवश्यकता है, जहाँ जहाज का सहायक जलयान पहुँचकर बिना किसी छेड़छाड़ के इर्धंन, गोलाबारूद और आवश्यक भंडार का पुनर्भरण कर सके। वहाँ श्रमिकों के विश्राम और मनोरंजन की व्यवस्था भी रहनी चाहिए। डॉकयार्ड या अड्डे को पनडुब्बी, तारपीडो और हवाई आक्रमणों से बचाने के लिए पर्याप्त रक्षासेनाओं की स्थायी व्यवस्था रहती है। समुद्री प्रभुता की रक्षा के लिए नियुक्त बेड़े की क्षमता पर ही डॉक या अड्डे की सुरक्षा निर्भर करती है।
 
== ग्रेट ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल ==
इंग्लैंड के डॉकयार्ड और अस्त्रागार का इतिहास १६वीं शती से प्रारंभ होता है। प्रारंभ में बेड़े में कुछ ही राजकीय और कुछ सागरपत्तन नगरों के जहाज होते थे। ये नगर ही रणपोतों की देखभाल के लिए उत्तरदायी होते थे। सिंक (Cinque) बंदरगाह में १३वीं शती में ही डॉकयार्ड से मिलती जुलती व्यवस्था के होने का प्रमाण मिलता है। १२३८ ई० में जहाजों की अभिरक्षा के लिए विंचेलसी (Winchelsea) पर भवन बना। १२४३ ई० में इसे बड़ा बनाया गया और १० वर्ष बाद पुन: इसकी मरम्मत की गई। बड़े रणपोतों का निर्माण प्रारंभ होने पर साउथैप्टन और पोर्टस्मथ दोनों स्थानों पर जहाज और भंडार के लिए गोदाम बने और ब्रिटेन की समुद्री शक्ति के संस्थापक हेनरी सप्तम ने १४९५ ई० में पोर्टस्मथ में सूखे डॉकयार्ड का निर्माण कराया। १५०९ ई० में हेनरी अष्टम ने वुलिच (Woolwich) और डेटफर्ड (Deptford) में जमीन खरीदी, जिस पर पहले राजकीय डॉकयार्ड का निर्माण प्रारंभ हुआ। १५३० ई० में हेनरी सप्तम के सूखे डॉकयार्ड के आसपास पोर्टस्मथ में राजकीय डॉकयार्ड स्थापित हुआ। एलिज़ाबेथ प्रथम ने चैटैम (Chatham) और शीरनेस (Sheerness) में डॉकयार्ड चालू किया, जिसे चार्ल्स द्वितीय ने परिवर्धित किया। १६८९ ई० में प्लिमथ (Plymouth) डॉकयार्ड राजकीय संपत्ति हो गया। १८१४ ई० में पेंब्रोक का छोटा डॉकयार्ड स्थापित हुआ। हेनरी अष्टृम द्वारा १५४६ ई० में स्थापित नैवी बोर्ड राजकीय डॉकयार्डों का प्रशासन १८३२ ई० तक करता रहा। नौअधिकरण (admiralty) पर केवल समुद्री बेड़े का उत्तरदायित्व था। नौसेना के इस दोहरे नियंत्रण में कई दोष थे। भ्रष्टाचार, अपव्यय और अकुशलता से कई बार इंग्लैंड घोर राष्ट्रीय विपत्ति के किनारे पहुँच गया था। १८३२ ई० में दोनों के एकीकरण के बाद आधुनिक स्थिति आई। वाष्पयुग के आते-आते डॉकयार्डों में धीरे-धीरे अनेक परिवर्तन हुए। पोर्टलैंड, डोवर और जिब्रॉल्टर में रक्षात्मक बंदरगाह चालू हुए और जिब्रॉल्टर बंदरगाह को बड़ा बनाया गया। डेवन बंदरगाह में विस्तारण और हांगकांग तथा दक्षिण अफ्रीका के साइमंज़टाऊन (Simonstown) में नए कार्यों का प्रारंभ हुआ।
 
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१९४५ ई० में कैनाडा ने अपने सभी अस्थायी अड्डे बंद कर दिए, केवल सेंट जॉन्ज़ स्थित अड्डा जहाज और वायुयानवाहकों के लिए उपलब्ध था। तीन प्रमुख अड्डे तो वास्तव में भरे हुए रहते थे। न्यूज़ीलैंड के ऑक्लैंड डॉकयार्ड को बड़ा करके आधुनिकतम किस्म के क्रूज़र जैसे बड़े जहाजों के योग्य बनाया गया। सिडनी डॉकयार्ड को आस्ट्रेलिया स्क्वॉड्रन का प्रधान अड्डा बनाया गया। ब्रिजवॉन बिना डॉकयार्ड का छोटा अड्डा रहा पर एडमिरैल्टी द्वीप का मानूस अड्डा १ जनवरी, १९५० ई० से आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय अड्डे की तरह कार्य करने लगा। १९४४ ई० में इस टापू से जापानियों के निष्कासन के बाद यह अमरीका के ७वें बेड़े के सैनिक अड्डे में परिणत हो गया और यहाँ दो विशाल तैरते डॉक, गोदाम, मशीनशॉप और निवासस्थल स्थापित हुए। जापानियों से सिंगापुर छीन लेने के बाद से उसके सुधार का क्रम चलता रहा है।
 
== डॉकयार्ड प्रशासन ==
'''ब्रिटेन''' का डॉकयार्ड प्रशासन पूर्ण रूप से एक सा है। सभी अधिकार नौसेना नियंत्रक में निहित हैं। नौसेना निर्माण निदेशक (जो सभी जहाजों की अभिकल्पना करते हैं) तथा इंजीनियरी, आयुध, तारपीडो, विद्युत्‌ और अन्य प्राविधिक विभाग (जो अपनी अपनी विभागीय वस्तुओं की अभिकल्पना करते हैं) नियंत्रक के ही अधीन हैं। नौअधिकरण से अनुदेश निकलते हैं और डॉकयार्ड के अधिकारी उन्हें सविस्तार कार्यान्वित करते हैं। व्यवहारत: अधिकारों का पर्याप्त विकेंद्रीकरण है।
 
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सूरत में ईस्ट इंडिया की स्थापना के बाद भारत में आधुनिक नौसेना की स्थापना हुई। प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारतीय नौसेना में कुछ ही जहाज थे। उन दिनों ब्रिटेन नौसैनिक शक्ति में सर्वश्रेष्ठ था और भारत की रक्षा का दायित्व वहन करता था। अत: भारत का नौबल बढ़ाना आवश्यक समझा गया। कराची, बंबई, विशाखपटणम तथा कलकत्ता द्वितीय महायुद्ध के समय प्रधान भारतीय अड्डे थे। १९४१ ई० में भारतीय डॉकयार्ड में निर्मित पहला जहाज पानी में उतारा गया। नौसेना के जहाज आस्ट्रेलिया के डॉकयार्ड में बनते थे, अत: डॉकयाडों की विशेष उन्नति नहीं हुई। १९४७ ई० में विभाजन के फलस्वरूप एक तिहाई नौसेना और तीन प्रधान नौसैनिक संस्थापन पाकिस्तान के अधिकार में चले गए। आजकल विशाखपटणम, कोचीन के अड्डे और बंबई के डॉकयार्ड की प्रगति तेजी से हो रही है। कांडला बंदरगाह बन जाने से प्रगति का पथ और भी प्रशस्त हो गया है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.worldencompassed.com/warsicilianvespers/Fleet/drassanes.html Drassanes at Barcelona] - The Drassanes shipyard in Barcelona, with some original buildings dating to the 13th century.
* [http://www.northstarshipyard.com India based shipyards] - India based shipyard.
* [http://www.seayourhistory.org.uk/index.php?option=com_content&task=view&id=47&Itemid=113 Sea Your History] - Website from the Royal Naval Museum - Discover detailed information about Portsmouth Dockyard and the Royal Navy in the 20th Century.
* [http://www.coltoncompany.com U.S. Shipyards] - extensive collection of information about U. S. shipyards, including over 500 pages of U. S. shipyard construction records
* [http://www.liverpoolmuseums.org.uk/nof/docks Trading Places] - interactive history of European dockyards
* [http://www.globalsecurity.org/military/facility/shipyard.htm Shipyards] United States - from GlobalSecurity.org
* [http://www.gccm.com.au/ Gold Coast City Marina & Shipyard]
 
[[श्रेणी:डोकयार्ड]]
[[श्रेणी:जलयान निर्माण]]
 
 
 
[[ar:حوض بناء سفن]]
[[ast:Astilleru]]
[[be:Верф]]
[[bn:ডকইয়ার্ড]]
[[ca:Drassana]]