"प्राण": अवतरणों में अंतर
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४. उदान
५. व्यान.
प्राण का जन्म- यह प्राण क्या है यह कहाँ से आया, यह कैसे पैदा हुआ? जब जल और पृथ्वी तत्त्व, गंध और रस के साथ मिलकर एक आकार ले लेते हैं तो बीज बन जाता है. इस अवस्था में ज्ञान निष्क्रिय अवस्था मैं रहता है. अग्नि और वायु तत्त्व सुप्तावस्था में रहते हैं.बीज में जब ज्ञान क्रियाशील हो जाता है तो ज्ञान के क्रियाशील होते ही
जब शरीर में ज्ञान अक्रिय हो जाता है तो प्राण रुक जाते हैं क्योंकि शरीर का विकास समाप्त हो जाता है इसलिए गर्मी की आवश्यकता नहीं रहती, शरीर की गर्मी खत्म (70Fन्यूनतम तक हो जाती) है. शरीर की गर्मी खत्म होने से अंग कार्य करना बंद कार देते हैं. इसे ORGANSअंगों का निष्क्रियता को प्राप्त होना DRकहा जाता है.
कभी कभी ताप १०८ फ़ के कारण ज्ञान को धारण करने वाला ज्ञान शरीर छोड़ देता है और शरीर में प्राण क्रिया रुक जाती है.
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