"जीव": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Added वैदिक साहित्य categaory |
छोNo edit summary |
||
पंक्ति 23:
[[श्रेणी:भदावर]]
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश]]{{वैदिक साहित्य}}
अंग्रेजी भाषा में जीव के लिए क्रिएचर,ओर्गनिज्म शब्द प्रयुक्त होते हैं. इससे हिन्दू वेदान्त अथवा भगवद्गीता व अन्य दर्शन ग्रंथों में जगह जगह प्रयुक्त जीव शब्द को समझने में भ्रान्ति हो जाती है. जीव उपाधि युक्त ब्रह्म है अर्थात देह, मन, बुद्धि, अज्ञान आदि के कारण सीमित शक्ति वाला है, यह जीव आत्मा का अज्ञानमय स्वरूप है. इसकी उपस्थति से जीवन है अर्थात यह किसी प्राणी अथवा organism का जीवन सूत्र है. आत्मा आपकी अस्मिता है और पूर्ण शुद्ध ज्ञान स्वरूप है. परन्तु आत्मा जो अज्ञान से अपने वास्तविक स्वरूप को भुला बैठी है जीव कहलाती है.
सन्दर्भ -सरल वेदांत- बसंत प्रभात जोशी
|