"सिकन्दर बख्त": अवतरणों में अंतर

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मार्च 1977 में वे दिल्ली की [[चाँदनी चौक]] लोक सभा सीट से [[सांसद]] चुने गये और [[मोरारजी देसाई]] सरकार में लोक निर्माण, आपूर्ति और पुनर्वास मन्त्री बने। जुलाई, 1979 तक वे इस पद पर काम करते रहे।
 
1980 में जब जनता पार्टी विखण्डित हो गयी तो वे [[भारतीय जनता पार्टी]] में चले गये। पार्टी ने [[महासचिव]] का दायित्व सौंपा। चार वर्ष तक इस पद पर काम करने के बाद पार्टी ने उन्हें 1984 में पदोन्नत करके [[उपाध्यक्ष]] बनाया। 1990 में वे भाजपा के प्रत्याशी के रूप में [[राज्य सभा]] के लिये निर्वाचित हुए और 1992 में राज्य सभा के ऊपरी सदन में नेता प्रतिपक्ष चुने गये। 1996 में वे पुन: राज्य सभा सांसद चुने गये।
 
मई 1996 में [[अटल बिहारी वाजपेयी]] ने जब अपनी सरकार बनायी तो उन्होंने सिकन्दर बख्त को शहरी विकास मन्त्री का दायित्व देना चाहा परन्तु उससे वह सन्तुष्ट नहीं हुए अत: वाजपेयी ने उन्हें विदेश मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया। चूँकि तेरह दिन बाद बहुमत न जुटा पाने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार का इस्तीफा [[राष्ट्रपति]] को सौंप दिया। इस प्रकार वे केवल एक सप्ताह तक ही विदेश मन्त्रालय का कामकाज देख पाये। 1 जून 1996 को वाजपेयी सरकार के पतन के पश्चात सिकन्दर बख्त ने राज्य सभा में विपक्षी दल के नेता की कमान दुबारा सम्हाली।
1998 में वाजपेयी जब फिर से [[भारत के प्रधानमन्त्री]] बने तो सिकन्दर बख्त को उन्होंने अपनी सरकार में शामिल किया और उद्योग मन्त्री बनाया। इसके अतिरिक्त वे राज्य सभा के सभापति भी चुने गये।
 
==सन्दर्भ==