"हिलियम": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो Revert to revision 1895786 dated 2012-08-14 04:46:44 by Bill william compton using popups
पंक्ति 1:
{{pp-move-vandalism|small=yes}}
[[चित्र:2 Helium.png|thumb|right|तरलीकृत यानाति]]
[[चित्र:2 Helium discharge tube.jpgpng|thumb|right|शुद्ध यानाति से भरी गैस डिस्चार्जतरलीकृत ट्यूबहीलियम]]
[[चित्र:Helium discharge tube.jpg|thumb|right|शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब]]
 
'''यानातिहिलियम''' (हिलियम{{lang-en|Helium}}) एक रासायनिक [[तत्त्व]] है जो प्रायः [[गैस|गैसीय]] अवस्था में रहता है। यह एक [[निष्क्रिय गैस]] या नोबुल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका [[परमाणु क्रमांक]] २ है। सभी तत्वों में इसका [[क्वथनांक]] (boiling point) एवं [[गलनांक]] (melting point) सबसे कम है। [[द्रव]] यानातिहिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे [[अतिचालकता|अतिचालक]] तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये।
 
यानातिहीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत '''याHe''' (He), [[परमाणुभार]] ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, [[क्रांतिक ताप]] -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें. और गलनांक -२७२ डिग्री से. है। इसके दो स्थायी [[समस्थानिक]] ''या<sub>३</sub>'' (He<sub>३</sub>)He3, परमाण्विक द्रव्यमान ३.०१७० और ''या<sub>४</sub>'' (He<sub>४</sub>)He4, परमाण्विक द्रव्यमान ४.००३९ और दो अस्थायी समस्थानिक ''या<sub>५</sub>'' (He<sub>५</sub>)He5, परमाण्विक द्रव्यमान ५.०१३७ और रेडियोएक्टिव ''या<sub>३</sub>'' (He<sub>६</sub>)He6, परमाण्विक द्रव्यमान ६.०२८ पाए गए हैं।
 
== खोज एवं प्राप्ति ==
१८६८ ई. में सूर्य के [[सूर्यग्रहण|सर्वग्रास ग्रहण]] के अवसर पर सूर्य के वर्णमंडल के स्पेक्ट्रम में एक पीली रेखा देखी थी जो [[सोडियम|क्षारातु]] की पीली रेखा से भिन्न थी। जानसेन ने इस रेखा का नाम डी३डी3 रखा और सर जे. नार्मन लॉकयर इस परिणाम पर पहुँचे कि यह रेखा किसी ऐसे तत्व की है जो पृथ्वी पर नहीं पाया जाता। उन्होंने ही '''हीलियम''' ([[ग्रीक]] शब्द, शब्दार्थ सूर्य) के नाम पर इसका नाम यानातिहीलियम रखा। १८९४ ई. में सर विलियम रामजेम ने '''क्लीवाइट''' नामक खनिज से निकली गैस की परीक्षा से सिद्ध किया कि यह गैस पृथ्वी पर भी पाई जाती है। क्लीवाइट को तनु [[गन्धकाम्लसल्फ्यूरिक अम्ल]] के साथ गरम करने और पीछे क्वीवाइट को निर्वात में गरम करने से इस गैस को प्राप्त किया था। ऐसी गैस में २० प्रतिशत [[नाइट्रोजन|भूयाति]] था। [[नाइट्रोजन|भूयाति]] के निकाल लेने पर गैस के स्पेक्ट्रम परीक्षण से स्पेक्ट्रम में डी३डी3 रेखा मिली। पीछे पता लगा कि कुछ उल्कालोह में भी यह गैस विद्यमान थी। रामजे और टैवर्स ने इस गैस को बड़े परिश्रम और बड़ी सूक्ष्मता से परीक्षा कर देखा कि यह गैस वायुमंडल में भी रहता है। रामजे और फ्रेडेरिक सॉडी ने रेडियोऐक्टिव पदार्थों के स्वत:विघटन से प्राप्त उत्पाद में भी इस गैस को पाया। [[वायुमंडल]] में बड़ी अल्प मत्रा (१८,६०० में एक भाग), कुछ अन्य [[खनिज|खनिजों]], जैसे बोगेराइट और मोनेजाइट से निकली गैसों में यह पाया गया। मोनोज़ाइट के प्रति एक ग्राम में १ घन सेमी गैस पाई जाती है। [[पेट्रोलियम|महातु]] कूपों से निकली [[प्राकृतिक गैस]] में इसकी मात्रा १ प्रतिशत से लेकर ८ प्रतिशत तक पाई गई है।
 
== उत्पादन ==
प्राकृतिक गैसे के धोने से कार्बन डाइआक्साइड और अन्य अम्लीय गैसें निकल जती हैं। धोने में मोनाइथेनोलेमिन और ग्लाइकोल मिला हुआ जल प्रयुक्त होता है। धोने के बाद गैस को सूखाकर उसे ग्र्क़ से ३०० डिग्री ताप तक ठंढा करते हैं। उस ताप पर प्रति वर्ग इंच ६०० पाउंड से अधिक दबाव डालते हैं। इससे यानातिहीलियम और कुछ [[नाइट्रोजन|भूयाति]] को छोड़कर अन्य सब गैसें तरलीभूत हो जाती हैं। अब यानातिहीलियम (५० प्रतिशत) और नाइट्रोजन (५०%) का मिश्रण बच जाता है। इसे और ठंडा कर प्रति वर्ग इंच २,५०० पाउंड दबाव से दबाते हैं जिससे अधिकांश [[नाइट्रोजन|भूयाति]] तरलीभूत हो जाता है और यानातिहीलियम की मात्रा ९८.२% तक पहुँच जाती है। यदि इससे अधिक शुद्ध यानातिहीलियम प्राप्त करना हो तो सक्रियकृत नारियल के कोयले को द्रव [[नाइट्रोजन|भूयाति]] के ऊष्मक में रखकर उसके द्वारा यानातिहीलियम को पारित करते हैं जिससे केवल लेशमात्र अपद्रव्यवाला यानातिहीलियम प्राप्त होता है।
 
== गुणधर्म ==
वर्णरहित, गंधहीन और स्वादहीन गैस है। तापध्वनि और विद्युत का सुचालक है। जल में अल्प विलेय है। अन्य विलायकों में अधिक घुलता है। इसका तरलन हुआ है। द्रव यानातिहीलियम दो रूपों में पाया गया है। इसका घनत्व ०.१२२ है। इसका ठोसीकरण भी हुआ है। तरल द्रव के १४० वायुमंडल दबाव पर २७२ डिग्री से. पर कीसम ने १९२६ ई. में ठोस यानातिहीलियम प्राप्त किया था। इसकी गैस में केवल एक परमाणु रहता है। इसकी विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात ४ : १.६६७ है। किसी भी तत्व के साथ यह कोई यौगिक नहीं बनता। इसकी संयोजकता शून्य है। आवर्तसारणी में इसका स्थान प्रथम समूह के प्रबल विद्युत् धनीय तत्वों और सप्तम समूह के प्रबल विद्युत् ऋणीय तत्वों के बीच है।
 
== उपयोग ==
[[चित्र:Goodyear-blimp.jpg|thumb|right|वायुपोतों में यानातिहीलियम का प्रयोग होता है]]
 
[[वायुपोतों]] में [[हाइड्रोजन|उदजन]] के स्थान में अब यानातिहीलियम का प्रयोग होता है यद्यपि [[हाइड्रोजन|उदजन]] की तुलना में इसकी उत्थापक क्षमता ९२.६ प्रतिशत ही है पर [[हाइड्रोजन|उदजन]] के ज्वलनशील होने और वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनने के कारण इसका ही अब उपयोग हो रहा है। मौसम का पता लगाने के लिए बैलूनों में भी यानातिहीलियम का आज उपयोग हो रहा है। हल्की धातुओं के जोड़ने और अन्य धातुकर्मसंबंधी उपचारों में निष्क्रिय वायुमंडल के लिए यानातिहीलियम काम में आ रहा है। औषधियों में भी विशेषत: दमे और अन्य श्वसन रोगों में आक्सीजन के साथ मिलाकर कृत्रिम श्वसन में यानातिहीलियम का उपयोग बढ़ रहा है। [[द्रव]] यानातिहिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे [[अतिचालकता|अतिचालक]] तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये।
 
{{एलेमेन्ट}}