"वैमानिक शास्त्र": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Vaimanika Shastra title page.jpg|rifgt|thumb|300px| 'द विमानिक शास्त्र' नाम से सन् १९७३ में प्रकाशित 'वैमानिक शास्त्र' का अंग्रेजी अनुवाद]]
'''वैमानिक शास्त्र''' , [[संस्कृत]] पद्य में रचित एक ग्रन्थ है जिसमें [[वायुयान|विमानों]] के बारे में जानकारी दी गयी है। इस ग्रन्थ में बताया गया है कि प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में वर्णित [[विमान]] [[रॉकेट]] के समान उड़ने वाले प्रगत वायुगतिकीय यान थे।
इस पुस्तक के अस्तित्व की घोषणा सन् 1952 में आर जी जोसयर ( G. R. Josyer) द्वारा की गयी। जोसयर ने बताया कि यह ग्रन्थ पण्डित सुब्बाराय शास्त्री (1866–1940) द्वारा रचित है जिन्होने इसे 1918–1923 के बीच बोलकर लिखवाया। इसका एक हिन्दी अनुवाद 1959 में प्रकाशित हुआ जबकि संकृत पाठ के साथ अंग्रेजी अनुवाद 1973 में प्रकाशित हुआ।
इसमें कुल ८ अध्याय और 3000 श्लोक हैं। पण्डित सुब्बाराय शास्त्री ने कहा था कि उन्हें यह ग्रन्थ [[भारद्व ऋषि]] ने सुनाया था।
==बाहरी कड़ियाँ==
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