"हिन्दू वर्ण व्यवस्था": अवतरणों में अंतर

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शुद्रो के बारे में लिखित जानकारी सर्वप्रथम ऋग्वेद के दसवे मंडल के ९० वे मंत्र पुरुष सूक्त में मिलाती हे इसमे कहा गया हे की पुरुष के विभाजन करने के पश्चात उसके शरीर के भाग क्या -२ थे और उत्तर दिया जाता हे की उसका मुख ब्राहमण,बाहू क्षत्रिय,पैर वैश्य और शुद्र थे,<ref> http://www.dli.ernet.in/scripts/FullindexDefault.htm?path1=/data/upload/0045/975&first=1&last=161&barcode=5990010045970</ref>जबकि इसी तैत्तारिय ब्राहमण (I267 )में लिखा हे की ब्राहमण की उत्पत्ति देवताओ से हुई हे और शुद्रो की उत्पत्ति असुरों से हुई हे
<ref>http://www.dli.ernet.in/scripts/FullindexDefault.htm?path1=/data/upload/0045/975&first=1&last=161&barcode=5990010045970</ref>|इन उद्धरणों में चतुर्वर्ण और शुद्र वर्ना की उत्पत्ति के सम्बन्ध में दिए गए सभी व्याख्यान्न भिन्न -२ हे|चतुर्वर्ण की उत्पत्ति कोई पुरुष से कोई ब्रह्माजी से जोई प्रजापति से,
कोई असुरों से तो कोई शुन्य से बताता हे| इस प्रकार ये व्याख्याए ही काल्पनिक,मानव सृजित और उपद्रवी भावनाओ वाली हे |इनका कोई एतिहासिक महत्त्व नहीं है क्योकि ये स्वयं हे परस्पर एक दूसरे को काट रही हैं<ref>http://www.dli.ernet.in/scripts/FullindexDefault.htm?path1=/data/upload/0045/975&first=1&last=161&barcode=5990010045970 </ref>|
 
===इतिहासकारों के अनुसार उत्पत्ति===