"विनाशक पोत": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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पिछली कुछ दशाब्दियों में ध्वंसकों में अनेक आमूल सुधार हुए हैं, लेकिन इसकी आधारभूत विशेषताओें, जैसे तेज गति और युद्धाभ्यासक्षमता में (जो सदा ही इनकी विशेषता रही है) अंतर नहीं हुआ है। तेज गति के अभाव में बड़े बड़े जहाजों पर आक्रमण करते समय ध्वंसकों के बच निकलने की संभावना कम रह जाती है। समुद्र में रक्षित रहने (sea keeping) इनकी आश्चर्यजनक क्षमता इनके सुवाही आकार (stream lined shape) और अभिकल्प के कारण है।
==अत्रशस्त्र ==
ध्वंसक में जो
1. जहाजों पर आक्रमण करने के लिए [[तारपीडो]],
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2. [[पनडुब्बी]] पर आक्रमण के लिए अस्र शस्र,
3. [[वायुयान]] और छोटी-मोटी स्थल
===तारपीडो===
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===पनडुब्बीनाशक अस्र-शस्र===
कुछ लोगों के कथनानुसार पनडुब्बी का इतना विकास हो चुका है कि ध्वंसक द्वारा उसे नष्ट नहीं किया जा सकता। यद्यपि कुछ सीमा तक यह कथन सत्य है फिर भी निकट परीक्षण से प्रकट होता है कि आज भी ध्वसंक पनडुब्बी को मारने में सामर्थ है। पिछले महायुद्ध में ध्वंसकों ने ३०० पनडुब्बियाँ समुद्र में डुबा दी थीं। अब तो सुदूरस्थ लक्ष्वेधी अस्त्रों और सुधरी हुई स्वनान्वेष (sonar) युक्तियाँ उपलब्ध हैं, जिनसे ध्वंसकों की
===तोप===
समुद्री जहाजों के लिए हवाई आक्रमणों का संकट बढ़ जाने से उसके निराकरणार्थ हवामारों की शक्यता बढ़ाना स्वभाविक था। किंतु
==ध्वंसकों के कार्य==
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