"टॉरपीडो": अवतरणों में अंतर

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*(ग) अंत:क्षेपण ईंधन-'ईंधन समय नियंत्रक' से होकर इंजन के सिलिंडरों में जाता है, जहाँ वह जनित्र की उष्ण गैस के संपर्क से प्रज्वलित होता है और इससे सिलिंडर में दाब बढ़ जाती है। जली हुई गैसें पिस्टन को नीचे ढकेलकर अपना कार्य करती हुई क्रैंक के खोल मे आती हैं और वहाँ से नोदक-ईषा-केंद्र से निकल जाती है। यह नोदक ईषा खोखली होती है और चूषण नल का काम करती है।
 
(*(घ) तारपीडो अब गर्म होकर चलने लगता है और दो नोदकों को स्थायी चाल से तब तक चलाता है जब तक ईंधन या वायु खरच नहीं हो जाती। इंजन का बाह्य भाग समुद्रजल से ठंढा होता है और आभ्यंतर भाग समुद्रजल की फुहार से ठंडा होता है। इंजन से चलता हुआ जलपंप पानी को क्रैंक के खोल में बल से ले जाता है।
 
===चलते हुए तारपीडो का नियंत्रण===