"विश्लेषण": अवतरणों में अंतर

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''यद्यपि मूलतः [[गणित]] के क्षेत्र में [[ग्रीक]] गणितज्ञों ने [[प्रमेय]] को पहले ही सिद्ध किए गए कथनों या प्रमेयों में, अथवा स्वीकृत स्वसिद्ध तथ्यों में, रूपांतरित करके सिद्ध करने की पद्धति को 'विश्लेषण''' (Analysis) शब्दार्थनाम केदिया था। किन्तु वर्तमान समय अनुसारमें, [[संश्लेषण]] अथवाके समन्वयविपरीत अर्थ में '''विश्लेषण''' (Analysis) का विपरीतबोधकप्रयोग हैकिया एवंजाता है। किसी विधान या व्यवस्थाक्रम की सूक्ष्मता से परीक्षण करने की तथा उसके मूल तत्वों को खोजने की क्रिया काको 'विश्लेषण' नाम दिया जाता है।
 
आज ज्ञान के सभी क्षेत्रों में 'विश्लेषण' का प्रयोग किया जाता है। कुछ मुख्य विश्लेषण नीचे दिये हये हैं-
[[गणित]] के क्षेत्र में [[ग्रीक]] गणितज्ञों ने [[प्रमेय]] को पहले ही सिद्ध किए गए कथनों या प्रमेयों में, अथवा स्वीकृत स्वसिद्ध तथ्यों में, रूपांतरित करके सिद्ध करने की पद्धति को 'विश्लेषण' नाम से अभिहित किया।
 
* [[गणितीय विश्लेषण]]
व्यापक अर्थ में विश्लेषण [[प्रतीक|प्रतीकों]] तथा [[समीकरण|समीकरणों]] के प्रयोग की वह पद्धति है जिसके द्वारा [[बीजगणित]] तथा अत्पलीय कलन की प्रक्रियाएँ गणित के विभिन्न क्षेत्रों की अनेक समस्याओं का समुचित हल निकालने के लिए सुलभ होती हैं।
 
* [[रासायनिक विश्लेषण]]
[[यूरोप]] में सालहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी के जागरण के युग में [[रेने देकार्त]] (१५९६-१६५० ई.) की [[वैश्लेषिक ज्यामिति]] ने विश्लेषण का विशेष रूप निर्धारित किया। इसी कृति के आधार पर कलन, अवकलनगणित तथा समाकलनगणित की मूलभूत भावनाओं का विकास हुआ। आज गणितीय विश्लेषण के अंतर्गत गणित की वे सभी पद्धतियाँ हैं जो अपनी क्रियाओं के लिए किसी न किसी प्रकार कलन का अवलंब ग्रहण करती हैं।
 
* [[आर्थिक विश्लेषण]]
अवकलनगणित तथा समाकलनगणित वास्तविक चर तथा समिश्रचर फलन सिद्धांत, [[अनंत श्रेणी]], [[फुरिये श्रेणी]] एवं फूरियेर समाग्ल, विशेष फलन (Special Functions), अवकल, अंतर तथा समाकल समीकरण, विचरण कलन एवं विभयसिद्धांत (Potential Theory), [[प्रायिकता]] (Probability) और [[सांख्यिकी]] के गणितीय पक्ष आदि, इस प्रकार के सभी विषय विश्लेषण की विभिन्न शाखाएँ हैं। कुछ अन्य विषय भी समान प्रणाली का प्रयोग करने के कारण विश्लेषण का नाम ग्रहण करते हैं, जैसे [[संख्या सिद्धांत]] के अंतर्गत डायाफैंटी (diophantine) विश्लेषण, [[सदिश विश्लेषण]] आदि। परंपरागत गणितीय विश्लेषण में स्थान (topological) बीजगणित की पद्धतियों के प्रयोग के फलस्वरूप बीजगणितीय, अथवा फलनिक, विश्लेषण का जन्म हुआ है।
 
[[श्रेणी:क्रांतिक सोच]]