"उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसन्दूक संगठन
| name = नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन<br /><small>Organisation du Traité de l'Atlantique Nord</small>
| image =
| caption =
| map = Location NATO 2009 blue.svg
| mcaption = नाटो देश नीले रंग में
| type = [[सैन्य गठबंधन]]
| headquarters = [[ब्रुसेल्स]], [[बेल्जियम]]
| membership_type = सदस्य देश
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गठन के शुरुआत के कुछ वर्षों में यह संगठन एक राजनीतिक संगठन से अधिक नहीं था। लेकिन कोरियाई युद्ध ने सदस्य देशों को प्रेरक का काम किया और दो अमरीकी सर्वोच्च कमांडर के दिशानिर्देशन में एक एकीकृत सैन्य संरचना निर्मित की गई। लॉर्ड इश्मे पहले नाटो महासचिव बने, जिनकी संगठन के उद्देश्य पर की गई टिप्पणी, "रुसियों को बाहर रखने, अमरीकियों को अंदर और जर्मनों को नीचे रखने" (के लिए गई है।) खासी चर्चित रही। यूरोपीय और अमरीका के बीच रिश्तों की तरह ही संगठन इसकी ताकत घटती-बढ़ती रही। इन्हीं परिस्थितियों में [[फ्रांस]] ने स्वतंत्र परमाणु निवारक बनाते हुए नाटो की सैनिक संरचना से १९६६ से अलग हो गया।
 
१९८९ में बर्लिन की दीवार के गिरने के बाद संगठन का पूर्व की तरफ बाल्कन हिस्सों में विस्तारsuresh हुआ और [[वारसा संधि]] से जुड़े हुए अनेक देश १९९९ और २००४ में इस गठबंधन में शामिल हुए। १ अप्रैल २००९ को [[अल्बानिया]] और [[क्रोएशिया]] के प्रवेश के साथ गठबंधन की सदस्य संख्या बढ़कर २८ हो गई। [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में ११ सितंबर, २००१ के आतंकवादी हमलों के बाद नाटो नई चुनौतियों का सामना करने के लिए नए सिरे से कर रहा है, जिसके तहत [[अफ़ग़ानिस्तान]] में सैनिकों की और [[इराक]] में प्रशिक्षकों की तैनाती की गई है।
 
बर्लिन प्लस समझौता नाटो और यूरोपीय संघ के बीच १६ दिसंबर २००२ को बनाया का एक व्यापक पैकेज है, जिसमें यूरोपीय संघ को किसी अंतरराष्ट्रीय विवाद की स्थिति में कार्रवाई के लिए नाटो परिसंपत्तियों का उपयोग करने की छूट दी गई है, बशर्ते नाटो इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता हो। नाटो के सभी सदस्यों की संयुक्त सैन्य खर्च दुनिया के रक्षा व्यय का ७०% से अधिक है, जिसका से [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] अकेले दुनिया का कुल सैन्य खर्च का आधा हिस्सा खर्च करता है और [[ब्रिटेन]], [[फ्रांस]], [[जर्मनी]] और [[इटली]] १५ % खर्च करते हैं।