"उपकला ऊतक": अवतरणों में अंतर

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प्राणियों के शरीर की बाहरी सतह और शरीर के अन्दर स्थित विभिन्न अंगों के बाहरी तथा भीतरी सतह का निर्माण करने वाले [[ऊतक]] को '''उपकला ऊतक''' कहते हैं।
 
== परिचय ==
उपकला (एपिथीलियम) एक अत्यंत महीन और चिकनी झिल्ली है जो शरीर के भीतरी समस्त अंगों के बाह्य पृष्ठों को आच्छादित किए हुए है। इसी का दूसरा रूप शरीर के कुछ खोखले विवरों के भीतरी पृष्ठ को ढके रहता है, जिसे [[अंतर्कला]] कहा जाता है।
 
उपकाला शरीर का एक विशिष्ट ऊतक है जो अंगों का आच्छादन करके उनकी रक्षा करता है। इसके अक्षुण्य रहने से जीवाणु भीतर प्रवेश नहीं कर पाते। यह कला समस्त पाचनप्रणाली, मुख से लेकर मलद्वार तक को, आच्छादित किए हुए है। यही कला इसके भीतरी पृष्ठ को आच्छादित करती हुई ग्रंथिक उपकला का रूप ले लेती है और प्रणाली की भित्तियों में घुसकर पाचक रसोत्पादक ग्रंथिंयाँ बन जाती है। शरीर में जिनी भी प्रणालियाँ या नलिकाएँ हैं, जैसे श्वासनाल तथा प्रणालिकाएँ, रक्तवाहिनियाँ, रसवाहिनियाँ आदि, सब उपकला से आच्छादित हैं। इसकी कोशिकाएँ एक दूसरे के अत्यंत निकट रहती हैं।
 
== प्रकार ==
इसके विशेष प्रकार ये हैं :
 
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[[it:Tessuto epiteliale]]
[[ja:上皮細胞]]
[[jv:Jaringan epitel]]
[[kk:Эпителий ұлпасы]]
[[ko:상피세포]]