"केतु": अवतरणों में अंतर

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{{Hdeity infobox| <!--Wikipedia:WikiProject Hindu mythology-->
{{unreferenced}}
Image = BritishmuseumKetu.JPG
| Caption = केतु: सर्प असुर का धड़ या पूंछ, ब्रिटिश संग्रहालय में एक शिल्प
| Name = केतु
| Devanagari =
| Sanskrit_Transliteration = केतु
| Pali_Transliteration =
| Tamil_script = கெது
| Script_name = <!--Enter name of local script used-->
| Script = <!--Enter the name of the deity in the local script used -->
| Affiliation = [[Graha]], [[Asura]]
| God_of = दक्षिण [[:w:Lunar Node|लूनर मोड]]
| Abode =
| Mantra =
| Weapon =
| Consort = चित्रलेखा
| Mount = चील
| Planet =
}}
'''केतु''' ([[file:U+260B.svg|16px]]) [[भारतीय ज्योतिष]] में उतरती [[:w:Linar mode|लूनर मोड]] को दिया गया नाम है। केतु एक रूप में [[राहु]] नामक ग्रह के सिर का धड़ है। यह सिर [[समुद्र मन्थन]] के समय [[मोहिनी अवतार]] रूपी भगवान [[विष्णु]] ने काट दिया था। यह एक छाया ग्रह है। माना जाता है कि इसका मानव जीवन एवं पूरी सृष्टि पर अत्यधिक प्रभाव रहता है। कुछ मनुष्यों के लिये ये ग्रह ख्याति पाने का अत्यंत सहायक रहता है। केतु को प्रायः सिर पर कोई रत्न या तारा लिये हुए दिखाया जआता है, जिससे रहस्यमयी प्रकाश निकल रहा होता है।
 
== केतु की स्थिति ==
[[भारतीय ज्योतिष]] के अनुसार [[राहु]] और केतु, [[सूर्य]] एवं [[चंद्र]] के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिन्दुओं के द्योतक हैं। सूर्य और चंद्र के ब्रह्मांड में चलने के अनुसार ही राहु और केतु की स्थिति भी बदलती रहती है। अंग्रेज़ी या यूरोपीय विज्ञान में राहू एवं केतु को को क्रमशः उत्तरी एवं दक्षिणी [[:w:lunar node|लूनर नोड]] कहते हैं। तभी ये तथ्य कि सूर्य या चंद्र जब इनमें से किसी एक बिन्दु/स्थिति पर उपस्थित होते हैं ग्रहण होता है, ये तथ्य इस कथा का जन्मदाता बना कि राहु या केतु ग्रहण के समय सूर्य या चंद्र को ग्रसित कर लेते हैं।
 
[[चित्र:BritishmuseumKetu.JPG|thumb|ब्रिटिश संग्रहालय में केतु की प्रतिमा]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/केतु" से प्राप्त