"कार्बन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Koh-i-Noor new version copy.jpg|thumb|right|250px|प्रांगारकार्बन का एक बहुरूप हीरा।]]
[[चित्र:GraphiteUSGOV.jpg|thumb|250px|right|प्रांगारकार्बन का एक अन्य बहुरूप ग्रेफाइट।]]
[[पृथ्वी]] पर पाए जाने वाले [[तत्वों]] में '''प्रांगारकार्बन''' (कार्बन) एक प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस रासायनिक तत्त्व का संकेत C तथा परमाणु संख्या ६, मात्रा संख्या १२ एवं परमाणु भार १२.००० है। प्रांगारकार्बन के तीन प्राकृतिक समस्थानिक <sub>6</sub>C<sup>12</sup>, <sub>6</sub>C<sup>13</sup> एवं <sub>6</sub>C<sup>14</sup> होते हैं। प्रांगारकार्बन के समस्थानिकों के अनुपात को मापकर प्राचीन तथा पुरातात्विक अवशेषों की आयु मापी जाती है।<ref>{{cite web |url= http://ehindi.hbcse.tifr.res.in/videos/allahabad%20workshop/cmnautial/view
|title=प्रांगारकार्बन के समस्थानिकों में जलवायु और सभ्यता के हस्ताक्षर|accessmonthday=[[२ जून]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केन्द्र|language=}}</ref> प्रांगारकार्बन के [[परमाणुओं]] में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण प्रांगारकार्बन के बहुत से परमाणु आपस में संयोग करके एक लम्बी शृंखला का निर्माण कर लेते हैं। इसके इस गुण के कारण पृथ्वी पर [[कार्बनिक पदार्थों]] की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों ही अवस्थाओं में पाया जाता है।<ref>{{cite book |last=प्रसाद |first=चन्द्र मोहन |title= भौतिक एवं रसायन विज्ञान |year=जुलाई 2004 |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=232 |accessday= २4|accessmonth= मई|accessyear= २००९}}</ref>
 
इसके विविध गुणों वाले कई बहुरूप हैं जिनमें [[हीरा]], [[ग्रेफाइट]] [[काजल]], [[कोयला]] प्रमुख हैं। इसका एक अपरूप हीरा जहाँ अत्यन्त कठोर होता है वहीं दूसरा अपरूप ग्रेफाइट इतना मुलायम होता है कि इससे कागज पर निशान तक बना सकते हैं। हीरा विद्युत का कुचालक होता है एवं ग्रेफाइट सुचालक होता है। इसके सभी अपरूप सामान्य तापमान पर ठोस होते हैं एवं [[वायु]] में जलकर [[कार्बन डाइ-आक्साइड]] गैस बनाते हैं। [[हाइड्रोजन]], [[हीलियम]] एवं [[आक्सीजन]] के बाद विश्व में सबसे अधिक पाया जाने वाला यह तत्व विभिन्न रूपों में संसार के समस्त प्राणियों एवं पेड़-पौधों में उपस्थित है। यह सभी सजीवों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है, [[मनुष्य]] के शरीर में इसकी मात्रा १८.५ प्रतिशत होती है और इसको जीवन का रासायनिक आधार कहते हैं।
 
प्रांगारकार्बन शब्द [[लैटिन]] भाषा के कार्बो शब्द से आया है जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है। प्रांगारकार्बन की खोज प्रागैतिहासिक युग में हुई थी। प्रांगारकार्बन तत्व का ज्ञान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को भी था। [[चीन]] के लोग ५००० वर्षों पहले हीरे के बारे में जानते थे और [[रोम]] के लोग लकड़ी को मिट्टी के पिरामिड से ढककर चारकोल बनाते थे। [[लेवोजियर]] ने [[१७७२]] में अपने प्रयोगो द्वारा यह प्रमाणित किया कि हीरा प्रांगारकार्बन का ही एक अपरूप है एवं कोयले की ही तरह यह जलकर प्रांगारकार्बन डाइ-आक्साइड गैस उत्पन्न करता है। प्रांगारकार्बन का बहुत ही उपयोगी बहुरूप [[फुलेरेन]] की खोज [[१९९५]] ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों ने की। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष [[१९९६]] ई. का [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त हुआ।
 
== प्रांगारकार्बन के यौगिक ==
प्रांगारकार्बन के असंख्य यौगिक हैं जिन्हें [[कार्बनिक रसायन]] के अन्तर्गत अध्ययन करते हैं।
 
=== प्रांगारकार्बन के अकार्बनिक यौगिक ===
यद्यपि प्रांगारकार्बन के यौगिकों का वर्णन कार्बीनिक रसायन का मुख्य विषय है किन्तु अकार्बीनिक रसायन में प्रांगारकार्बन के आक्साइडों तथा प्रांगारकार्बन डाइसल्फाइड का वर्णन किया जाता है.
 
'''प्रांगारकार्बन के जारेयआक्साइड'''- प्रांगारकार्बन के तीन जारेयआक्साइड ज्ञात हैं -
* (1) प्रांगारकार्बन मोनोक्साइड CO तथा
* (2) कार्बन डाइआक्साइड CO2
* (2) प्रांगार द्विजारेय CO2
 
ये दोनों गैसें हैं और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं.
* (3) प्रांगारकार्बन जारेयआक्साइड C3O3 या ट्राइकार्बन जारेयआक्साइड अरुचिकर गैस है.
 
प्रांगारकार्बन द्विजारेयडाइआक्साइड CO2- रंगहीन गंधहीन गैस जो जल के अतिरिक्त ऐसीटोन तथा एथेनाल
में भी विलेय है. यह वायुमण्डल में 03% तक (आयतन के अनुसार) पाई जाती है और
पौधों द्वारा प्रकाशसंश्लेषण के समय आत्मसात कर ली जाती है. इसे धातु
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English big=Carbon|
English small=carbon|
German=Kohlenstoff|
Bengali=অঙ্গারক|
Spanish=Carbono|
Kannada=ಇಂಗಾಲ|
French=Carbone|
Tamil=கரிமம்|
Japanese=炭素|
Russian=Углерод|
Ukrainian=Карбон|
symbol=प्रा (C) |
atomic number 1=6 |
atomic number 3=006 |