"नानाजी देशमुख": अवतरणों में अंतर

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==निधन==
नानाजी देशमुख ने ९५ साल की उम्र में देश[[चित्रकूट]] स्थित [[भारत]] के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय (जिसकी स्थापना उन्होंने खुद की थी) में रहते हुए अन्तिम साँस ली। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे, लेकिन इलाज के लिएलिये [[दिल्ली]] जाने से मना कर दिया। नानाजी देश के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना शरीर छात्रों के मेडिकल शोध के लिएहेतु [[दान]] करने की इच्छा जताईजतायी, जिसका सम्मान करते हुए उनका शव आल[[अखिल इण्डियाभारतीय इंस्टीट्यूटआयुर्विज्ञान ऑफ मेडिकल साइंसेजसंस्थान]] नई दिल्ली को सौंप दिया गया।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==