"लल्ल": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
{{आधार}}
'''
लल्लाचार्य की यह एकमात्र खगोलशास्त्रीय कृति है जो जीवित बची है।
गोलाध्याय के सातवें अध्याय (मिथ्याज्ञान नामक बीसवाँ अध्याय) में लल्ल ने पुराणों में कही गईं अनेकों ज्योतिषीय विचारों की आलोचना की है (जैसे धरती के चपटी होने का विचार, सूर्य का चन्द्रमा के अधिक निकट होना, [[राहु]] के कारण [[ग्रहण]] का होना आदि)
==कृतियाँ==
* शिष्यधीवृद्धिदतन्त्र
* ज्योतिषरत्नकोश - यह ग्रन्थ ३०० वर्षों तक भारत का सबसे प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रन्थ रहा।
* [[ब्रह्मगुप्त]] की कृति 'खण्डखड्यक' की टीका लिखी जो अप्राप्य है।
|