"पचमढ़ी": अवतरणों में अंतर
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पचमढ़ी सदाबहार सतपुड़ा पर्वत श्रेणी पर सुंदर पहाड़ियों से घिरा पठार है, जिसे पर्यटक प्यार से सतपुड़ा की रानी कहते हैं। इस पठार का वनक्षेत्र सहित कुल क्षेत्र लगभग ६० वर्ग किमी है। सामान्य मान्यता के अनुसार पचमढ़ी नाम, पंचमढ़ी या पांडवों की पांच गुफा से व्युत्पन्न है, जिनके संबंध में माना जाता है कि, उन्होंने इस क्षेत्र में अपना अज्ञातवास का अधिकांश समय बिताया था। अंग्रेजों के शासन काल में पचमढ़ी मध्य प्रांत की राजधानी थी। अभी भी मध्यप्रदेश के मंत्रियों तथा उच्च शासकीय अधिकारियों के कार्यालय, कुछ दिनों के लिए पचमढ़ी में लगते हैं। ग्रीष्म काल में यहां अधिकारियों की अनेक बैठकें भी होती है। यह आरोग्य निवास के रूप में उपयोगी है।
इस स्थान की खोज केप्टन जे.फॉरसोथ ने की थी। उन्हें यहां सन् १८६२ में, सतपुड़ा के इस भाग के अन्वेषण के लिए भेजा गया था। उन्होंने यहां एक फॉरेस्ट लॉज का निर्माण किया और द हाइलेंडस ऑफ सेंट्रल इंडिया नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी, जिसमें सतपुड़ा पवत श्रेणी की उत्कृष्ट सुंदरता का चित्रण है। जब वे पचमढ़ी आए तो इस क्षेत्र पर पंचमढ़ी के कोरकू जागीरदार का अधिकार था, किंतु हांडी खो के समीप मग्न झोपड़ियों के स्थलों के रूप में अति प्राचीन सभ्यता के चिन्ह विद्यमान
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