"वैशेषिक दर्शन": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 13:
 
== वैशेषिक दर्शन के मुख्य ग्रंथ ==
* [[कणाद]]कृत [[वैशेषिकसूत्र]] - इसमें दस अध्याय हैं।
'कणादसूत्र', उसकी टीका भाष्य (रावण) कटंदी, वृत्ति-उपस्कर (शंकर मिश्र 15 वीं सदी), वृत्ति, भाष्य (चंद्रकांत 20 वीं सदी), विवृत्ति (जयनारायण 20 वीं सदी), पदार्थ-धर्म-संग्रह (प्रशस्तदेव, 4 वी सदी के पूर्व), उसकी टीका "व्योमवती" (व्योम शिवाचार्य, 8 वीं सदी), "किरणावली" (उदयनाचार्य 10 वीं सदी), "कंदली" (श्रीधराचार्य, 10 वीं सदी), वल्लभाचार्य-न्याय-लीलावती (12 वीं सदी), कणाद-रहस्य, सप्तपदार्थी, तार्किक-रक्षा आदि अनेक मौलिक तथा टीका ग्रंथ हैं।
 
* वैशेषिकसूत्र के दो भाष्यग्रन्थ हैं - रावणभाष्य तथा भारद्वाजवृत्ति । वर्तमान में दोनो अप्राप्य हैं।
 
* [[पदार्थधर्मसंग्रह]] (प्रशस्तपाद, 4 वी सदी के पूर्व) वैशेषिक का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यद्यपि इसे वैशेषिकसूत्र का भाष्य कहा जाता है किन्तु यह एक स्वतंत्र ग्रन्थ है।
 
* पदार्थधर्मसंग्रह की टीका "व्योमवती" (व्योमशिवाचार्य, 8 वीं सदी),
 
* पदार्थधर्मसंग्रह की अन्य टीकाएँ हैं- 'न्यायकंदली' (श्रीधराचार्य, 10 वीं सदी), "किरणावली" (उदयनाचार्य 10 वीं सदी), लीलावती ( श्रीवत्स, ११वीं शदी)।
 
* पदार्थधर्मसंग्रह पर आधारित चन्द्र के 'दशपदार्थशास्त्र' का अब केवल चीनी अनुवाद प्राप्य है।
 
* ग्यारहवीं शदी के आसपास रचित शिवादित्य की 'सप्तपदार्थी' में न्याय तथा वैशेषिक का सम्मिश्रण है।
 
* '''अन्य''कणादसूत्र', उसकी: टीका भाष्य (रावण) कटंदी, वृत्ति-उपस्कर (शंकर मिश्र 15 वीं सदी), वृत्ति, भाष्य (चंद्रकांत 20 वीं सदी), विवृत्ति (जयनारायण 20 वीं सदी), पदार्थ-धर्म-संग्रह (प्रशस्तदेव, 4 वी सदी के पूर्व), उसकी टीका "व्योमवती" (व्योम शिवाचार्य, 8 वीं सदी), "किरणावली" (उदयनाचार्य 10 वीं सदी), "कंदली" (श्रीधराचार्य, 10 वीं सदी), वल्लभाचार्य-न्याय-लीलावती (12 वीं सदी), कणाद-रहस्य, सप्तपदार्थी, तार्किक-रक्षा आदि अनेक मौलिक तथा टीका ग्रंथ हैं।
 
== न्याय एवं वैशेषिक ==