"सुदर्शनाचार्य": अवतरणों में अंतर

संक्षिप्त जीवनी
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सुदर्शनाचार्य जी का [[जन्म|प्रादुर्भाव]] 27 मई 1937 को राजस्थान की पावन [[भूमि|अवनी]] में सवाई माधोपुर मण्डलान्तर्गत पाड़ला [[ग्राम]] के एक सम्पन्न कृषक [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ। उनके बचपन का नाम शिवदयाल शर्मा था।
 
"होनहार बिरवान के होत चीकने पात" नामक कहावत के अनुसार बालक शिवदयाल बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा का धनी होने के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत था। उसने [[मेंहदीपुर [[बालाजी मन्दिर]] मन्दिर के महन्त श्री गणेश पुरी का सान्निध्य प्राप्त कर मानव कल्याण की कामना से लोकहित कार्यो में अपना ध्यान लगाते हुए आध्यात्मिक यात्रा प्रारम्भ की। इसके पश्चात [[वृन्दावन]] में खटलेश स्वामी गोविन्दाचार्य से दीक्षा ग्रहण कर सारस्वत नगरी [[काशी]] में भी वेदादि शास्त्रों का गहन अध्ययन किया।
 
गोस्वामी [[तुलसीदास]] के वचनों को हृदयंगम करते हुए उन्होंने भानगढ़ के बीहड जंगलों में बारह वर्षो तक कठोर तपस्या की। तपस्या के दौरान उन्हें तन्त्र-मन्त्रों की प्रत्यक्ष अनुभूति हुई। इस प्रकार लोकोपकार की उदात्त भावना लेकर वे सांसारिक जीवों के बीच जा पहुँचे।
 
 
गोस्वामी [[तुलसीदास]] के वचनों को हृदयंगम करते हुए उन्होंने [[भानगढ़]] के बीहडबीहड़ जंगलों में बारह वर्षो तक कठोर तपस्या की। तपस्या के दौरान उन्हें तन्त्र-मन्त्रों की प्रत्यक्ष अनुभूति हुई। इस प्रकार लोकोपकार की उदात्त भावना लेकर वे सांसारिक जीवों के बीच जा पहुँचे।
 
==बाहरी कड़ियाँ==