"सुदर्शनाचार्य": अवतरणों में अंतर

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==जगद्गुरु की प्रतिष्ठा और गोलोकवास==
सुदर्शनाचार्य जीसुदर्शनाचार्यजी महाराज के विलक्षण वैभव व गुणों से प्रभावित होकर [[वैष्णव सम्प्रदाय|वैष्णव समुदाय]] ने 1998 में सम्पन्न हुएके [[हरिद्वार]] के महाकुम्भ में पतित पावनी [[गंगा]] जी के किनारे समस्त जगद्गुरुओं, पीठाधीश्वरों, त्रिदण्डी स्वामियों, आचार्यो तथा समस्त वैष्णव समुदाय के समक्ष आपकोउन्हें श्रीमज्जगद्गुरुजगद्गुरु रामानुजाचार्य के पद पर विभूषित कर, इस पद की गरिमा का पदोचित सम्मान किया।
 
वे अपने जीवन काल में ही 23 अप्रैल 2007 को अनेक सन्तों, महन्तों एवं भगवद्भक्तों के समक्ष अपने उत्तराधिकारी स्वामी पुरूषोत्तमाचार्यपुरुषोत्तमाचार्य जी को आश्रम के अधिष्टाताअधिष्ठाता पद पर अभिषिक्त कर सांसारिक उत्तरदायित्वोंउत्तरदायित्व एवं सिद्धदाता आश्रम के कार्य भार से मुक्त हो गये तथाथे।

इसके एक माह के भीतर ही 22 मई 2007 के मध्यान्ह काल अभिजित नक्षत्र के शुभ समय में सूर्यांश को ग्रहण करकरते हुए उन्होंने अपने इस नश्वर शरीर को त्याग करदिया और [[स्वर्ग लोक|गोलोकवास]] में गोलोकवासीचले हुए।गये।
 
==बाहरी कड़ियाँ==