"अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:BattleofIssus333BC-mosaic-detail1.jpg|thumb|right|320px|'''[[सिकन्दर]]''' का चित्र जिसमें उसे फ़ारस के [[दारा तृतीय]] से युद्ध करते हुए दिखाया गया है ]]
ईसा के कोई ६०० साल पहले तक अफ़गान क्षेत्र मेडियाई साम्राज्य के अंग हुआ करते थे। इस समय मेडी लोग असीरीयाई लोगों के साथ जूडिया और मध्यपूर्व पर आक्रमण में मदद करते थे। पार्स के लोग उनके अनुचर सहयोगी हुआ करते थे। पर सन् ५५९ ईसापूर्व में पार्स (आधुनिक ईरान का फ़ार्स प्रांत) के राजकुमार कुरोश ने मेडिया के खिलाफ विद्रोह कर दिया । कुरोश ने इस तरह हखामनी माम्राज्य की स्थापना की जो सिकन्दर के आक्रमण तक कायम रहा । उसके बाद उसने असीरिया पर भी अधिकार कर लिया । इसके बाद कुरोश का साम्राज्य बढ़ता ही गया और यह
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मिस्र से लेकर आधुनिक पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा तक फैल गया । ईसापूर्व ५०० में [[फ़ारस]] के [[हखामनी]] शासकों ने इसको जीत लिया। [[सिकन्दर]] के फारस विजय अभियान के तहते अफ़गानिस्तान भी यूनानी साम्राज्य का अंग बन गया । इसके बाद यह शकों के शासन में आए । शक स्कीथियों के भारतीय अंग थे । ईसापूर्व २३० में मौर्य शासन के तहत अफ़गानिस्तान का संपूर्ण इलाका आ चुका था पर मौर्यों का शासन अधिक दिनों तक नहीं रहा। इसके बाद पार्थियन और फ़िर सासानी शासकों ने फ़ारस में केन्द्रित अपने साम्राज्यों का हिस्सा इसे बना लिया । [[सासनी वंश]] [[इस्लाम]] के आगमन से पूर्व का आखिरी ईरानी वंश था । अरबों ने ख़ोरासान पर सन् ७०७ में अधिकार कर लिया । [[सामानी वंश]], जो फ़ारसी मूल के पर सुन्नी थे, ने ९८७ इस्वी में अपना शासन गजनवियों को खो दिया जिसके फलस्वरूप लगभग संपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान ग़ज़नवियों के हाथों आ गया । गज़नवी लोग तुर्क मूल के सुन्नी मुस्लिम थे । ग़ोर के शासकों ने गज़नी पर ११८३ में अधिकार कर लिया ।
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