"अम्लराज": अवतरणों में अंतर

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जब सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सांद्र नाइट्रिक अम्ल को आपस में मिलाया जाता है तब रासायनिक अभ्रिया होती है। इस अभिक्रिया के फलस्वरूप वाष्पशील [[नाइट्रोसिल क्लोराइड]] तथा [[क्लोरीन]] बनती हैं जो अम्लराज से निकलने वाले धुंएँ तथा अम्लराज के लाक्षणिक पीले रंग से स्पष्ट है। ज्यों-ज्यों अम्लराज से वाष्पशील पदार्थ उडकर अलग हो जाता है, अम्लराज की शक्ति (potency) भी कम होती जाती है।
 
:HNO<sub>3</sub> ''(aq)'' + 3 HCl ''(aq)'' → NOCl ''(g)'' + Cl<sub>2</sub> ''(g)'' + 2 H<sub>2</sub>O ''(l)''
 
नाइट्रोसिल क्लोराइड का पुनः [[नाइट्रिक आक्साइड]] और क्लोरीन में विघटन हो सकता है। इसलिये अम्लराज के धुएँ में नाइट्रोसिल क्लोराइड और क्लोरीन के अलावा नाइट्रिक आक्साइड भी होती है।