"इस्पात निर्माण": अवतरणों में अंतर
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लौह अयस्क से [[इस्पात]] बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण '''इस्पात निर्माण''' (Steelmaking) है। कच्चे लोहे से
इस्पात बनाने के लिये कच्चे लोहे में उपस्थित अतिरिक्त कार्बन तथा
==परिचय तथा इतिहास==
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प्राचीन काल में इस्पात उत्पादन की दो विधियाँ प्रचलित थीं।
* (1) कार्बाधिशोषण या सीमेंटकरण विधि (Cementation Process) तथा
* (2) घड़िया विधि (Crucible Process)
भारत का प्रसिद्ध 'वुत्स' इस्पात (wootz steel) इन्हीं विधियों से बनाया जाता था।
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इस्पात-निर्माण में असली क्रांति १८५० के दशक के अन्तिम दिनों में आयी। बेसमर विधि प्रथम सफल विधि थी जिससे बड़ी मात्रा में इस्पात उत्पादन किया जा सकता था। इसके बाद खुला चुल्हा विधि आयी।
आधुनिक इस्पातनिर्माण को दो भागों में बांट सकते हैं - प्राथमिक तथा द्वितीयक इस्पातनिर्माण (primary and secondary steelmaking) । प्राथमिक इस्पात निर्माण उसे कहते हैं जिसमें इस्पात-निर्माण के लिये अधिकांशतः
===बेसेमर विधि===
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इस्पात उत्पादन में मुख्यत: दो प्रकार की विद्युत् भट्ठियों प्रयुक्त होती हैं :
* (1) चाप भट्ठी (Arc Furnace) तथा
* (2) प्रेरण भट्ठी (Induction Furnace)।
चाप भट्ठी में ग्रैफाइट विद्युदग्रों, अथवा विद्युदग्र और धातु, के बीच विद्युच्चाप बनता है, जिससे तेज ऊष्मा निकलती है और धातु का प्रगलन करती है। प्रेरण भट्ठी में धातु प्रेरित विद्युद्धारा के प्रवाह को अवरुद्ध करती है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है। बड़े परिमाण में इस्पात उत्पादन के लिए चाप भट्ठी ही अधिक उपयोगी है और इसकी धारिता एक टन से लेकर 100 टन तक ही होती है। प्रेरण भट्ठी मुख्यत: औजारी अथवा विशेष प्रकार के इस्पातों के उत्पादन में काम आती है।
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==इन्हें भी देखें==
* [[इस्पात]]
* [[लोहस धातुकर्म]] (Ferrous metallurgy)
* [[लौह धातुकर्म का इतिहास]]
* [[भारतीय धातुकर्म का इतिहास]]
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://www.msf.gov.in/web-hindi/ धातु एवं इस्पात निर्माणी, ईशापुर]
* [http://pib.nic.in/newsite/hindifeature.aspx?relid=13421 भारतीय इस्पात : विकास की कहानी]
[[cs:Výroba oceli]]
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