"ऐरावतेश्वर मंदिर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो r2.7.1) (Robot: Adding pnb:ایراوتیشور مندر |
छो Robot: Interwiki standardization; अंगराग परिवर्तन |
||
पंक्ति 12:
| Link = http://whc.unesco.org/en/list/250
}}
'''ऐरावतेश्वर मंदिर''' , द्रविड़ वास्तुकला का एक हिंदू मंदिर है जो [[दक्षिण भारत|दक्षिणी भारत]] के [[तमिल नाडु|तमिलनाड़ु]] राज्य में [[कुंभकोणम
==पौराणिक कथा==
ऐरावतेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. [[
कहा जाता है कि मृत्यु के राजा यम ने भी यहाँ शिव की पूजा की थी. परंपरा के अनुसार यम, जो किसी ऋषि के शाप के कारण पूरे शरीर की जलन से पीड़ित थे, ऐरावतेश्वर भगवान द्वारा ठीक कर दिए गए. यम ने पवित्र तालाब में स्नान किया और अपनी जलन से छुटकारा पाया. तब से उस तालाब को ''यमतीर्थम '' के नाम से जाना जाता है.
==वास्तुकला==
[[
[[
यह मंदिर कला और ''स्थापत्य कला'' का भंडार है और इसमें पत्थरों पर शानदार नक्काशी देखने को मिलती है. हालांकि यह मंदिर बृहदीश्वर मंदिर या गांगेयकोंडाचोलीश्वरम मंदिर से बहुत छोटा है, किंतु विस्तार में अधिक उत्तम है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कहा जाता है कि यह मंदिर ''नित्य-विनोद'' , "सतत मनोरंजन, को ध्यान में रखकर बनाया गया था.
''विमाना'' (स्तंभ) 24 मीटर (80फीट) उंचा है.<ref name="unesco"
भीतरी आंगन के पूर्व में बेहतरीन नक्काशीदार इमारतों का एक समूह स्थित है जिनमें से एक को ''बलिपीट'' (बलि देने का स्थान) कहा जाता है. ''बलीपीट'' की कुरसी पर एक छोटा मंदिर बना है जिसमें [[
आंगन के दक्षिण-पश्चिमी कोने में 4 तीर्थ वाला एक ''मंडपम '' है. इनमें से एक पर यम की छवि बनी है. इस मंदिर के आसपास एक विशाल पत्थर की शिला है जिस पर ''सप्तमाताओं'' (सात आकाशीय देवियां) की आकृतियां बनी हैं.<ref name="ayyar351"
==देवी-देवता==
{{Double image|right|Horse drawn chariot Darasuram.jpg|100|Chariot spoked wheel Darasuram.jpg|100|Horse-drawn chariot carved onto the ''mandapam'' of Airavatesvarar temple, Darasuram ''(left)''. The chariot and its wheel ''(right)''are so finely sculpted that they include even the faintest details}}
मुख्य देवता की पत्नि पेरिया नायकी अम्मन का एक अलग मंदिर है जो ऐरावतेश्वर मंदिर के उत्तर में स्थित है. संभव है जब बाहरी आंगन पूरा रहा हो तो यह मुख्य मंदिर का ही एक हिस्सा रहा हो. वर्तमान समय में, यह एक अलग मंदिर के रूप में अकेला खड़ा है जिसके बड़े आंगन में देवी का मंदिर बना है.<ref name="ayyar351"
==मंदिर में शिलालेख==
इस मंदिर में विभिन्न शिलालेख हैं. इन लेखों में से एक में कुलोतुंगा चोल तृतीय द्वारा मंदिरों का नवीकरण कराए जाने का पता चलता है.<ref name="ayyar353"> देखें पी.वी. जगदीस अय्यर, पी 353</ref>
''बरामदे'' की उत्तरी दीवार पर शिलालेखों के 108 खंड हैं, इनमें से प्रत्येक में ''शिवाचार्या '' (शिव को मानने वाले संत) के नाम, वर्णन व छवियां बनी है जो उनके जीवन की मुख्य घटनाओं को दर्शाती हैं.<ref name="ayyar353"
''गोपुरा '' के पास एक अन्य शिलालेख से पता चलता है कि एक आकृति कल्याणी से लायी गई थी, जिसे बाद में राजाधिराज चोल प्रथम द्वारा कल्याणपुरा नाम दिया गया, पश्चिमि चालुक्य राजा सोमेश्वर प्रथम से उसकी हार के बाद उनके पुत्र विक्रमादित्य षष्ठम (VI) और सोमेश्नर द्वितीय ने चालुक्यों की राजधानी पर कब्जा कर लिया.<ref name="ayyar353"
==यूनेस्को वैश्विक धरोहर स्थल==
[[
इस मंदिर को वर्ष 2004 में [[महान चोला मंदिर|महान चोल जीवंत मंदिरों
==टिप्पणियां==
पंक्ति 61:
{{World Heritage Sites in India}}
[[
[[
[[
[[
[[
[[en:Airavatesvara Temple]]
|